BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में दो राष्ट्रीय त्योहार हैं 26 जनवरी और 15 अगस्त जिन्हें बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन देश में अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन करने के साथ विभिन्न विद्यालयों एवं कॉलेजों में छात्रों द्वारा झाकियां निकालने से लेकर मिठाइयाँ बाटीं जाती हैं,
प्रेरणादायक भाषणों के माध्यम से लोगों का उत्साहवर्धन किया जाता है. इस हर्सोल्लास के होते हुए भी दो ऐसे शहर हैं जो इस दिन किसी भी प्रकार का कोई सम्मेलन नहीं करते हैं.
हाँ, इतना जरूर है कि ये दोनों 18 अगस्त को अपनी खुशियाँ बाँटते हैं. आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल स्थित दो शहर कृष्णानगर और रामघाट जो नदिया जिले में पड़ते हैं, जहाँ 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस न मनाकर 18 अगस्त को यह कार्य किया जाता है.
दरअसल, 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे एक वृतांत जुड़ा हुआ है. इसके अंतर्गत भारत-पाकिस्तान के बँटवारे के समय इन दोनों शहरों को पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया था जिसका विरोध यहाँ के लोगों ने किया.
एक लम्बी लड़ाई के बाद इन्हें पाकिस्तान से मुक्त करके भारत का अंग स्वीकार कर लिया गया जिसके प्रतीकात्मक स्वरुप यहाँ 18 अगस्त को ये लोग अपनी आजादी का जश्न मनाते हैं.
ऐसा करने की मुख्य वजह इन क्षेत्रों का हिन्दू बाहुल्य होना था, आजादी के बाद यहाँ के लोगों को 18 अगस्त को झंडा फहराने की अनुमति नहीं थी क्योंकि 2002 से पहले झंडा फहराने के लिए कानून बनाया गया था.
इसके तहत 23 जनवरी, 26 जनवरी और 15 अगस्त के अतिरिक्त आम आदमी को झंडा फहराने की छूट नहीं थी. ऐसे में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी प्रमथनाथ शुक्ल के प्रपौत्र अंजन शुक्ल ने इसके विरुद्ध कड़ा आंदोलन प्रारम्भ किया,
और यह माँग रखी कि उन्हें 15 अगस्त के अलावे 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की अनुमति दी जाये. इनकी यह मेहनत रंग उस समय लाई जब 1991 में केंद्र सरकार ने इनकी माँगों पर विचार करके छूट दे दी.