BY–THE FIRE TEAM
पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम जनता के दैनिक जीवन को काफी प्रभावित कर दिया है। दिल्ली में आज पहली बार पेट्रोल 80 के पार पहुंच गया वहीं मुंबई जैसे शहरों में यह 90 रुपये प्रति लीटर के करीब आने की कोशिश में लगा है।
इसी बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल की बढ़ती कीमतों के पीछे विदेशी कारण गिनाए हैं।
पेट्रोलियम मंत्री ने पहले कारण में रुपए की डॉलर के मुकाबले गिरती कीमत जिम्मेदार बताया है।
उन्होंने कहा, “आज अन्य मुद्राओं की तुलना में भारतीय मुद्रा हमेशा की तरह मजबूत है, लेकिन हम तेल कैसे खरीदते हैं? डॉलर के माध्यम से। आज डॉलर एक तरह से विश्व की सबसे मजबूत मुद्रा है, यह हमारे लिए समस्या पैदा कर रहा है। इसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपए का गिरता कहीं ना कहीं पेट्रोल-डीजल के दामों की बढ़ोतरी का एक कारण है।”
OPEC had assured world community, from July 1 they'll produce 1 mn MT/day, addl production will be there. As per July-Aug statistics, target isn't being compiled. Issues of Iran,Venezuela&Turkey creating pressure on production. These factors aren't in India's hands: D Pradhan pic.twitter.com/ZrBGHSKQaY
— ANI (@ANI) September 8, 2018
बताते चलें कि इसके पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रुपए की डॉलर के मुकाबले गिरती कीमत के पीछे का कारण भी विदेशी बताया था। उन्होंने कहा था कि भारतीय मुद्रा अन्य मुद्राओं की तुलना में मजबूत है।
बहरहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब डॉलर से ही लगभग समस्त देनदारियां होती हैं तो अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपए के मजबूत होने या न होने से देश को क्या मतलब?
धर्मेंद्र प्रधान ने तेल की बढ़ती कीमतों में दूसरा कारण बताते हुए कहा कि ईरान,वेनेजुएला और तुर्की की राजनीतिक स्थिति भी भारत में महंगे तेल के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा,”इरान, वेनेजुएला और तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक स्थिति की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन ओपेक भी कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा पाया है जबकि उसने इसका वादा किया था। ये कारक भारत के हाथों में नहीं।”
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि यह जरूरी हो गया है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
आपको बताते चलें कि भारत में अभी तक पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है।
यदि सरकार इसको जीएसटी में लाती है तो इससे उपभोक्ताओं को काफी लाभ मिल सकता है।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इसको जीएसटी के अंतर्गत ला पाती है।