BY-THE FIRE TEAM
समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा के नेता शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा में शामिल होने की संभावना से शनिवार को साफ इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनका मोर्चा बड़े भाई एवं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का समर्थन करेगा, भले ही अगले संसदीय चुनाव में वह किसी भी अन्य दल से चुनाव लड़ें.
शिवपाल ने कहा, ”हम ‘सेक्यूलर’ (धर्म निरपेक्ष) लोग हैं और हम हमेशा से भाजपा के खिलाफ रहे हैं. हम पुराने ‘सेक्यूलर’ समाजवादी हैं और भाजपा में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता.”
शिवपाल से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि शिवपाल चाहें तो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.
अगर मुलायम मैनपुरी सीट से चुनाव लड़े तो क्या समर्थन करेंगे, इस सवाल पर शिवपाल ने कहा, ”मैंने उन्हें समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा के उम्मीदवार के रूप में मैनपुरी से चुनाव लड़ने की पेशकश की है.
अगर मैनपुरी से वह किसी अन्य दल से भी चुनाव लड़े तो हम समर्थन करेंगे, लेकिन शेष सीटों पर हम अपने उम्मीदवार उतारेंगे.”
सपा और बसपा के बीच गठबंधन के बारे में शिवपाल ने कहा कि यह उनसे जुड़ा मामला नहीं है. यह मायावती और अखिलेश यादव पर निर्भर करता है.
आपको बता दें कि नई पार्टी बनाने के महीने भर के भीतर शिवपाल यादव कई बड़े सपा नेताओं को जोड़ने में सफल रहे. इनमें ज्यादातर नेता मुलायम सिंह यादव के संघर्ष के दौर से साथी रहे हैं.
मगर पार्टी में जारी अंतर्कलह के बीच समाजवादी पार्टी में उन्हें घुटन महसूस हो रही थी. शिवपाल सिंह यादव ने बीते 29 अगस्त को जब समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन किया तो अखिलेश यादव से नाराज चल रहे सपा के नेताओं को एक राजनीतिक प्लेटफॉर्म मिलता हुआ दिखाई दिया.
कुछ नेताओं को शिवपाल यादव से वफादारी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अखिलेश यादव ने पार्टी से बाहर भी कर रखा था, इस प्रकार बताया जा रहा है कि शिवपाल यादव के मोर्चे के जुड़ने से एक प्रकार से ऐसे नेताओं का राजनीतिक वनवास खत्म हुआ है.
कभी मुलायम सिंह यादव के बाद पार्टी में नंबर दो माने जाने वाले शिवपाल यादव की सपा में पकड़ उस वक्त से ढीली होनी शुरू हुई, जब भतीजे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने.
मुलायम काफी समय तक शिवपाल यादव के साथ खडे़ दिखते रहे, मगर ऐन वक्त पर उन्होंने भी दांव चलकर अखिलेश को ही आशीर्वाद दिया.
ऐसे में सपा में उपेक्षा और फिर बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के ‘पुत्रमोह’ को देख जब समाजवादी पार्टी से अपनी बची-खुची उम्मीद भी टूटती दिखी तो इस साल 29 अगस्त को शिवपाल सिंह यादव ने नई राह चुनते हुए सेक्युलर फ्रंट का एलान किया.
शिवपाल का दावा था कि मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से उन्होंने नई पार्टी बनाई है.मगर हालिया आयोजन में मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश के साथ खड़े दिखे.
समाजवादी पार्टी छोड़कर सेक्युलर मोर्चा से जुड़े एक नेता का कहना है कि सपा में रहते शिवपाल यादव ने जितना कार्यकर्ताओं का ख्याल रखा, उतना किसी और नेता ने नहीं.
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे तो ज्यादातर कार्यकर्ता उन्हीं से फरियाद करते थे. पार्टी में घमासान के बाद से नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक वर्ग उपेक्षा का शिकार है.
अब शिवपाल इन सभी असंतुष्टों को अपने सेक्युलर मोर्चे से जोड़कर सपा का विकल्प बनाना चाहते हैं. यह तभी हो सकता है, जब समाजवादी पार्टी कमजोर हो और सेक्युलर मोर्चा मजबूत.
शिवपाल सिंह यादव की नई पार्टी में अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे नेता भी शामिल हुए हैं. कई पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी जुड़े हैं.
गाजीपुर से दो बार विधायक और मंत्री रहीं शादाब फातिमा, शारदा प्रताप शुक्ला, पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश राय उर्फ लल्लन राय हाल में सेक्युलर मोर्चे से जुड़े हैं. इसके अलावा इटावा से दो बार सांसद और विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य भी शिवपाल के साथ आ गए हैं.
इनकी मजबूत होती स्थिति को देखकर ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि शिवपाल बीजेपी का दामन थामकर अपने को और मजबूत बनाएंगे.
किन्तु इन सारी संभावनाओं को फ़िलहाल उन्होने ख़ारिज कर दिया है, अब यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा की ऊँट किस करवट बैठेगा ?