स्विट्जरलैंड के जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की 43वें सत्र की बैठक के दौरान भारत के तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि-
“पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है. इस देश में ईश निंदा कानून को जिस कदर दुरूपयोग करते हुए अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को कुचला जाता है वह बेहद शर्मनाक है.”
#Unmasking the #DeepState of Pakistan with a #COVID protection mask on! Exercised India’s #RightOfReply in response to Pakistan’s hypocrisy in the #HumanRightsCouncil today! J & K was, is & will continue to be an integral part of India, Pakistan should cease to covet it! #JaiHind pic.twitter.com/y3LWxZnPIG
— Vimarsh Aryan🇮🇳 (@VimarshAryan) June 16, 2020
विमर्श ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति बहाली के लिए पाकिस्तान को चाहिए कि वह भारत का साथ दे. वहीं कश्मीर के संबंध में जो बार-बार पाकिस्तान द्वारा हस्तक्षेप और टिपण्णी करने की आदत को निशाना बनाते हुए विमर्श ने उसे दो टूक शब्दों में समझाते हुए बताया कि-
“कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और अपने सम्प्रभुता के अधिकार के तहत भारत ने फैसला लिया है. कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तथा इसमें किसी तरह की नुक्ताचीनी वह बर्दाश्त नहीं करेगा. पाकिस्तान को अपने यहाँ के अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को रोकने की जरूरत है.”
पाकिस्तान के सन्दर्भ में यह दुर्भाग्यपूर्ण माना जा सकता है कि 60 वर्षों के बाद उसे अल्पसंख्यक आयोग बनाने की बात सूझी है, यद्यपि अभी भी उसमें अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. आज बदलते परिवेश में पाकिस्तान को अपनी सोच और समझ दुरुश्त करने की आवश्यता है.