BY-THE FIRE TEAM
देश में बढ़ता जा रहा सोशल मीडिया जहाँ एक तरफ आपको कई जानकारियां प्राप्त करने का स्रोत बनता जा रहा है वहीं कुछ ऐसा भी वर्ग है जो इसका दुरूपयोग करके समाज की शांति व्यवस्था खराब करता रहता है.
ऐसे लोगों पर लगाम कसने के लिए सरकार व्हाट्स एप्प के द्वारा भेजे जाने वाले मैसेजेज़ को खुद पढ़ने नियम बनाना चाहती है, यदि ऐसा हुआ तो भारत में व्हाट्स एप्प बंद हो जायेगा.
#Whatsapp confirms political parties are attempting to use the app for their gains; says it's working hard to identify and prevent it.https://t.co/xa5huPqKqx
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) February 7, 2019
भारत में कारोबार कर रहीं सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित कुछ नियम अगर लागू हो जाते हैं तो इससे व्हाट्सऐप के वर्तमान रूप के अस्तित्व पर भारत में खतरा आ जाएगा.
गौरतलब है कि भारत में व्हाट्सऐप के 20 करोड़ मासिक यूजर्स हैं और यह कंपनी के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। कंपनी के दुनिया भर में कुल 1.5 अरब यूजर्स हैं.
दिल्ली में एक मीडिया वर्कशॉप के मौके पर व्हाट्सऐप के कम्यूनिकेशन प्रमुख कार्ल वूग ने बताया कि, “प्रस्तावित नियमों में से जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय है, वह मैसेजेज का पता लगाने पर जोर देना है, या उन्हें पढ़ना है.”
फेसबुक के स्वामित्व वाली व्हाट्सऐप डिफाल्ट रूप से एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन की पेशकश करता है, जिसका मतलब यह है कि सिर्फ मैसेज भेजनेवाला और उसे हासिल करने वाला ही संदेश को पढ़ सकता है
और यहां तक कि व्हाट्सऐप भी अगर चाहे तो भेजे गए संदेशों को पढ़ नहीं सकता है। वूग का कहना है कि इस फीचर के बिना व्हाट्सऐप का रूप ही बदल जाएगा और वह बिल्कुल नया उत्पाद बन जाएगा.
वूग अमेरिका में बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल में उनके प्रवक्ता के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने कहा, “प्रस्तावित बदलाव जो लागू होने जा रहे हैं,
वह मजबूत गोपनीयता सुरक्षा के अनुरूप नहीं हैं, जिसे दुनिया भर के लोग चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन मुहैया कराते हैं, लेकिन नए नियमों के तहत हमें हमारे उत्पाद को दोबारा से गढ़ने की जरूरत पड़ेगी.”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में मैसेजिंग सेवा अपने मौजूदा स्वरूप में मौजूद नहीं रहेगी. एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन फीचर से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अफवाह फैलाने वाले अभियुक्तों तक पहुंचना मुश्किल होता है.
लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नियमों के तहत उनके अपनी सेवाओं के दुरुपयोग और हिंसा फैलाने से रोकने के लिए एक उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा.