BY-THE FIRE TEAM
लगातार राफेल विमानों की खरीद को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने पर उसने अपनी सफाई देते हुए अपना पक्ष रखा है. केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि-
मध्यम श्रेणी के बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान(एमएमआरसीए) प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा देरी हुई इसी बीच दुश्मनों ने चौथी और पांचवी पीढ़ी के विमानों को बेड़े में शामिल कर लिया.
इस वजह से भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े की संख्या में आयी गिरावट को तुरंत दूर करने की जरूरत है. यह उस दस्तावेज में कहा गया है, जिसे केंद्र ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को उचित ठहराने के लिए सार्वजनिक किया है.
राफेल सौदे पर घटनाक्रम का जिक्र करते हुए दस्तावेज में कहा गया है कि एमएमआरसीए खरीदने का प्रस्ताव भारतीय वायु सेना ने सरकार को भेजा था और 2007 में 126 लड़ाकू विमानों के लिए निविदा जारी की गयी थी.
सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए दस्तावेज में कहा गया, ‘‘इस दौरान 126 बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) खरीद प्रक्रिया में लंबे समय तक अनिर्णय से हमारे दुश्मनों ने आधुनिक विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया और पुराने संस्करणों का उन्नयन किया.
उन्होंने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की बेहतर क्षमता हासिल की और बड़ी संख्या में अपने स्वदेशी लड़ाकू विमानों को शामिल किया.
दस्तावेज में कहा गया, ‘‘इसके अलावा, उन्होंने आधुनिकीकरण करते हुए अत्याधुनिक हथियारों से विमानों को लैस किया और रडार क्षमताओं में भी बढ़ोतरी की.’
गौरतलब है कि सूचना के मुताबिक दुश्मनों ने 2010 से 2015 के दौरान 400 से अधिक लड़ाकू विमानों (20 से अधिक स्क्वाड्रन के बराबर) को शामिल किया.
जिस तरह से हमारे प्रतिद्वंद्वी लड़ाकू विमानों को लेकर अपनी क्षमता बढ़ा रहे थे और हमारे लड़ाकू विमानों की क्षमता घट रही थी उससे स्थिति बहुत नाजुक हो गयी थी.
दस्तावेज के मुताबिक भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रनों की गिरती संख्या को तुरंत दूर करने और लड़ाकू विमानों की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गयी.
ऐसे में पहले से चल रही प्रक्रिया के तहत शर्तों के साथ उड़ान भरने की स्थिति में 36 राफेल विमानों (दो स्कवाड्रन) को खरीदने का इरादा बनाया गया जिसके बारे में दसॉल्ट एविएशन ने बेहतर ढंग से वाकिफ कराया.
जानिए क्या है राफेल विमान की खासियत ?
राफेल विमान फ्रांस की दासौल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है. 1970 में फ्रांसीसी सेना ने अपने पुराने पड़ चुके लड़ाकू विमानों को बदलने की मांग की.
जिसके बाद फ्रांस ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर एक बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान की परियोजना पर काम शुरू किया. बाद में साथी देशों से मतभेद होने के बाद फ्रांस ने इस पर अकेले ही काम शुरू कर दिया.
एक विमान की लागत 70 मिलियन आती है. इसकी लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें एक या दो पायलट बैठ सकते हैं.
जानकार बताते हैं कि राफेल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है. राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है, हालांकि अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है.
विमान में ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है, राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किमी प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है.
इसमें 1.30 mm की एक गन लगी होती है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है.
इसके अलावा इसमें घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें लगी रहती हैं.
इसमें थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा होता है. साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है.
अमेरिका, जर्मनी और रूस चाहते हैं कि भारत उनसे लड़ाकू विमान खरीदे. अमेरिका भारत को एफ-16 और एफ-18, रूस मिग-35, जर्मनी और ब्रिटेन यूरोफाइटर टायफून और स्वीडन ग्रिपन विमान बेचना चाह रहे थे, लेकिन मोदी सरकार ने राफेल को खरीदने का फैसला किया है.