ये 7 कानून जो दिखाते हैं कि लड़की होना सच में एक गुनाह है !


BY-THE FIRE TEAM


नारी को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति कहा गया है किन्तु विडंबना देखिये कि आदिकाल से उसका ही सबसे अधिक शोषण और उसी को अनेक प्रकार के बंधनों से जकड़ा गया.

समानता, स्वतंत्रता जैसे शब्द कानून की किताब में भले ही पुरुष हो या महिला सबके लिए समान रुप से प्रयोग किए गए हैं, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा कहीं होता है ?

ऐसा तो हमने हमेशा से सुना है कि एक घर को वास्तव में रहने लायक घर एक औरत ही बनाती है. अगर औरत घर में न हो तो वो घर बस एक चार दीवार की तरह है.

एक औरत ही घर-गृहस्थ का आधार होती है ऐसा भी हमने कहीं पढ़ा है, पर औरत ही हर बार मजबूर क्यों हो जाती है? एक औरत का औरत होना अपराध है क्या ?

पूरी दुनिया में औरतों के अधिकारों और उनके विकास के लिए कई आन्दोलन हुए.

अमेरिका से लेकर भारत और अफ्रीका से लेकर खाड़ी देशों तक, महिलाओं के हक़ के चर्चे हुए.  1995 में World Conference on Women में 189 देशों ने एक प्लान पर हस्ताक्षर किए,

जिसमें सभी देशों ने अपने नागरिकों के विकास के लिए लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के विचार को स्वीकार किया. इसके बावजूद दुनिया के कई देशों में आज भी ऐसे अमानवीय कानून लागू हैं,

जो औरत को मानव होने की श्रेणी से ही अलग कर देते हैं. यहां देखिए ऐसे 7 कानून जो एक औरत की आज़ादी का गला घोंट देते हैं:

1. मिस्र में पत्नी द्वारा धोखा देने पर पति उसको जान से मार सकता है. हैरानी की बात ये है कि उसे इस गुनाह के लिए आम हत्यारों जैसी कठोर सजा दिए जाने का नियम भी नहीं है. उसे मामूली सी सजा मिलती है, सीरिया में भी ऐसी ही स्थिति है.

यहां पर कोई भी पुरुष अपनी मां, बहन, पत्नी और बेटी की हत्या करने के लिए स्वतंत्र है, अगर वे किसी सेक्सुअल एक्टिविटी में शामिल हैं.

2. नाइजीरिया में कानूनी रूप से एक पुरुष, औरत को शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर सकता है या पीट सकता है और इसके लिए उसे कानून का सामना भी नहीं करना होता. शर्त ये है कि वो औरत उसकी पत्नी हो और गंभीर रूप से घायल न हो.

3. उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप के कैरेबियाई देश बहामास में एक पति को ये हक़ है कि वो अपनी पत्नी के साथ जबरन शारीरिक सम्बन्ध बना सकता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 14 साल से कम न हो.

सिंगापुर में भी पति को पत्नी का रेप करने का अधिकार मिला हुआ है, बशर्ते पत्नी की उम्र 13 साल से कम न हो. (ख़ैर शादी के बाद पति का हक़ होता है पत्नी पर, लेकिन पत्नी के साथ ज़बरदस्ती करना, ये किसी वेद, कुरआन या ग्रंथ में नहीं लिखा हुआ है)

4. लेबनान में कोई भी पुरुष अगर महिला का अपहरण या रेप करता है तो उस महिला से शादी करने की रज़ामंदी देने पर उसे सज़ा नहीं दी जाती है.

यूरोपीय देश माल्टा में भी ऐसा ही नियम है कि अगर अपहरण करने वाला व्यक्ति पीड़िता से विवाह करने का इरादा रखता है, तो उसकी पेनाल्टी कम हो जाती है. वहीं पीड़िता से शादी कर लेने पर उसकी पेनाल्टी माफ़ कर दी जाती है।

5. अफगानिस्तान और यमन जैसे देशों में पुरुष अपनी पत्नी के घर से निकलने पर रोक लगा सकता है और ऐसा वहां का कानून कहता है.

6. कैमरन और गिनी जैसे देशों में पति को पत्नी की जॉब पर फ़ैसला लेने का हक़ होता है. कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को उसकी मर्ज़ी का काम करने से रोक सकता है, अगर वो काम पति को पसंद नहीं है या उसके खुद के काम से अलग है.

7. इज़राइल में शादियां और तलाक़ धार्मिक कानूनों के आधार पर होते हैं. यहां के कानून के मुताबिक, तलाक़ तभी हो सकता है, जब पुरुष तलाक़ लेना चाहे.

ये सब पढ़कर तो यही लग रहा कि सही में लड़की होना एक गुनाह ही है. इससे अच्छा तो मां गर्भ में ही हमारा गला घोंट देतीं. हां अगर ऐसा कुछ कानून पुरूषों के लिए भी होता तो लड़की होना या औरत होना गुनाह नहीं था.

पर कहा जाता है कि लड़के और लड़कियों को एक समान अधिकार मिलने चाहिए तो ऐसा बस कहा ही जाता है. असल में दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जहां लड़कियों को भी लड़कों की तरह जीने की आज़ादी हो.

अभी वर्तमान में चले वाला मी टू आंदोलन भी उसी शोषण का एक रूप है जिसने महिलाओं को अपनी वेदना व्यक्त करने का आधार दे दिया है.

अब देखना है कि कानून के संरक्षक उन दमित महिलाओं को कितनी हद तक न्याय दिलाने में कामयाब होते हैं ?

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