BY-THE FIRE TEAM
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में होने वाली हड़तालों पर नियंत्रण लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश में राज्य में ‘आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम’ यानी एस्मा (ESMA) लागू कर दिया है.
इस अधिनियम की वजह से अब कोई भी सरकारी कर्मचारी अगले 6 महीने तक हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं या फिर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं.
इस समबन्ध में मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने अधिसूचना जारी की. के मुताबिक राज्य के कार्यकलापों से सम्बन्धित किसी भी लोकसेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या
नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर एस्मा—1966 की धारा तीन की उपधारा एक के तहत अगले छह माह तक के लिये प्रतिबंध लागू कर दिया गया है.
एस्मा के तहत डाक सेवाओं, रेलवे, हवाई अड्डों समेत विभिन्न आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी शामिल किये जाते हैं. एस्मा लागू होने के दौरान होने वाली हड़ताल को अवैध माना जाता है.
इसके उल्लंघन का दोषी पाये जाने पर एक साल तक की सजा का प्रावधान है. योगी सरकार के इस फैसले के पीछे ऐसा बताया जा रहा है कि कई सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर जाने वाले थे,
जिससे राज्य की सरकारी व्यवस्था पर असर पड़ सकता था. कई प्रदर्शनकारी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं. लोकसभा चुनावों के साथ-साथ राज्य में बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए योगी सरकार ने एस्मा लगाया है.
2018 में भी लगा था एस्मा :
जनवरी 2018 में यूपी के बिजली कर्मचारियों पर भी एस्मा लगाया गया था. राज्य सरकार ने जनहित में 6 माह की अवधि के लिए विद्युत विभाग के अधीन समस्त सेवाओं में हड़ताल करना निषिद्ध कर दिया था.
क्या है एस्मा ?
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने हेतु एस्मा लगाया जाता है. एस्मा लागू करने से पूर्व इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य माध्यम से सूचित किया जाता है.
एस्मा का नियम अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है. एस्मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध एवं दण्डनीय है.
एस्मा लागू होने के उपरान्त इस आदेश से सम्बन्धि किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारन्ट के गिरफतार किया जा सकता है और जेल भी हो सकती है.
बता दें कि एस्मा के तहत डाक सेवाओं, रेलवे, हवाई अड्डों समेत विभिन्न आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी की शामिल किए जाते हैं.