BY– THE FIRE TEAM
देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को दो बरसों में 85 लाख किसानों ने छोड़ा है। इसमें से 68 लाख किसान केवल चार राज्यों के हैं। पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की ओर से आरटीआई के तहत ली गई जानकारी में यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कपूर को आरटीआई के तहत देश के अनेक राज्यों की सूचना मुहैया कराई है। कपूर ने आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार बताया कि सरकारी क्षेत्र की एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया के अलावा कुल दस निजी बीमा कंपनियों ने योजना से दो साल में कुल 15,795 करोड़ रुपये कमाए हैं।
चार बड़े राज्यों मध्य प्रदेश (2.90 लाख), राजस्थान (31.25 लाख), महाराष्ट्र (19.47 लाख) व उत्तर प्रदेश में (14.69) लाख किसानों का योजना से मोहभंग हुआ है।
वर्ष 2016-17 में बीमा कंपनियों की औसत कमाई प्रतिमाह 538.30 करोड़ रुपये प्रति माह रही तो वर्ष 2017-18 में यह औसत कमाई बढ़कर 778 करोड़ रुपये प्रतिमाह हो गई।
वर्ष 2016-17 में 5.72 करोड़ कुल किसान बीमाकृत किए गए तो वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 85 लाख घटकर 4.87 करोड़ रह गई। बीमा कंपनियों को वर्ष 2016-17 में वार्षिक मुनाफा कुल 6459.64 करोड़ रुपये हुआ तो वर्ष 2017-18 में बीमा कंपनियों के इस मुनाफे में 150 प्रतिशत की वृद्धि होकर यह राशि 9335.62 करोड़ रुपये तक जा पहुंची।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना एक घोटाला है। किसानों के नाम पर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरियां भरी जा रही हैं। यह राशि निजी बीमा कंपनियों के बजाए सीधे किसानों को दी जाती तो किसानों की स्थिति में सुधार होता।
12 सितंबर की उनकी आरटीआई के जवाब में बीते 14 अक्टूबर को भेजे पत्र के जरिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की अधिकारी कामना आर शर्मा ने सूचना मुहैया कराई है।
हरियाणा में दो वर्ष में बीमाकृत किसानों की संख्या में 15,228 की वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2016-17 में बीमाकृत किसानों की कुल संख्या 13,36,028 थी, वहीं वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 13,51,256 हो गई।
वर्ष 2016-17 में किसानों से कुल 364.39 करोड़ रुपये प्रीमियम राशि वसूल कर कुल 292.55 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि दी गई। वर्ष 2017-18 में बीमा कंपनियों ने कुल 453 करोड़ रुपये का प्रीमियम वसूला, जबकि किसानों को मुआवजे में 358 करोड़ रुपये प्रदान किए।