BY– THE FIRE TEAM
रफाल विमान सौदा सिर्फ सरकार के लिए ही टेस्ट नहीं है, बल्कि मीडिया के लिए भी परीक्षा है. आप दर्शक मीडिया की भूमिका को लेकर कई सवाल करते भी रहते हैं. यह बहुत अच्छा है कि आप मीडिया और गोदी मीडिया के फर्क को समझ रहे हैं. हम सबको परख रहे हैं.
दर्शक और पाठक को बदलना ही होगा क्योंकि मीडिया के ज़रिए जो खेल हो रहा है, उसके नतीजे मीडिया को नहीं, आपको भुगतने होंगे. मैंने आपके लिए एक मीडिया टेस्ट किट बनाया है. आप अपने सवाल भी जोड़ सकते हैं इसके ज़रिए आप घर बैठे मीडिया को बदल सकते हैं. तो सबसे पहले आप एक डेडलाइन तय करें.
21 सितंबर 2018 को फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान आया था कि अनिल अंबानी की कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए भारत सरकार की तरफ से शर्त रखी गई थी. उस दिन के बाद से कोई एक या दो हिन्दी के अख़बार लें. इन अखबारों में रफाल पर छपी हर खबर को काट कर एक फाइल बनाएं.
फाइल जब बन जाए तो ध्यान से एक एक खबर को पढ़ें और कुछ सवाल बनाएं. देखिए कि रफाल की खबर कब-कब पहले पन्ने पर छपी है. क्या तभी छपी है जब किसी मंत्री ने या रफाल बनाने वाली कंपनी ने सौदे में अनिल अंबानी की कंपनी को लाभ पहुंचाने से इंकार किया है, घोटाला न होने का दावा किया है.
क्या तब भी रफाल की खबर पहले पन्ने पर प्रमुखता से छपी है जब राहुल गांधी ने रफाल को लेकर आरोप लगाए हैं. इस तरह से आप टेस्ट करेंगे कि यह खबर आपके अखबार के लिए प्रमुख कब है. प्रमुखता का टेस्ट करने के बाद आप डिटेल का टेस्ट करें.
रफाल विमान में घोटाला हुआ, इस संबंध में जितने आरोप लगे हैं, क्या उन्हें विस्तार से छापा गया है, रफाल विमान में घोटाला नहीं हुआ क्या इस खबर को पूरे विस्तार के साथ छापा गया है. आप फर्क समझ जाएंगे. रफाल मामले में सिर्फ राहुल गांधी आरोप नहीं लगा रहे हैं.