BY- सुशील भीमटा
भले ही उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड की अनिवार्यता कई जगह पर समाप्त कर दी हो परंतु वर्तमान में भी दिव्यांगों को इससे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस आधार कार्ड के कारण उन दिव्यांगों के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी हो जाती हैं जो बिस्तर पर ही पड़े हैं जिनकी हालत सालों से गंभीर है।
अब यदि अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है कि उनका आधार कार्ड घरों में ही बन पाए तो दिव्यांग अपने आधार कार्ड को बनवा कर किस प्रकार सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे यह एक उलझी पहेली है।
देश के करीब 2 करोड़ 70 लाख दिव्यांगों में 54 लाख ऐसे हैं जो व्हीलचेयर या बिस्तर पर ही हैं और उनमें से अधिकांश के आधार इसलिए नहीं बन पा रहे हैं कि आधार बनाने वाली एजेंसियों ने ऐसे किसी भी प्रावधान से इंकार कर दिया है जिससे घर जाकर दिव्यांग के अंगुलियों के निशान आधार बनाने को लिए जा सकें।
शिमला जिले के कोटखाई निवासी सुशील भीमटा ऐसे ही लोगों में से एक हैं जो 90% दिव्यांग हैं और बिस्तर पर ही सालों से हैं। सुशील बताते हैं कि उन्हें अपने रोजमर्रा के कामों को निपटाने के लिए सहारे की जरूरत है। वह पिछले कई सालों से जीरकपुर में रह रहे हैं।
उनका कहना है कि बीते 1 वर्ष के दौरान उन्होंने कई आधार बनाने वाली एजेंसियों से संपर्क किया लेकिन सभी ने यह कहकर उनकी प्रार्थना अस्वीकार कर दी कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं जिसमें उनके घर आकर आधार बनाया जाए। उनका कहना है कि दिव्यांगता भले ही जितनी मर्जी हो आधार बनाने के लिए केंद्र तक व्यक्ति को खुद आना होगा।
प्रधानमंत्री के नाम लिखा खत:
मजबूर होकर सुशील भीमटा ने देश के प्रधानमंत्री के नाम एक खत लिखा है जिसमें उन्होंने ऐसे दिव्यांग लोगों के आधार को कई जगह लिंक करने की शर्त को हटाया जाने का अनुरोध किया है। साथ ही आधार एजेंसियों को ऐसे दिव्यांगों के घर जाकर और फिर औपचारिकताएं पूरी करने की सख्त हिदायत भी दी है।
सुशील भीमटा ने प्रधानमंत्री को लिखा कि जब कोई व्यक्ति हिल-डुल नहीं सकता, बाथरूम और टॉयलेट तक नहीं जा सकता वह आधार केंद्र तक कैसे पहुंच पाएगा।
साथ ही भीमटा ने प्रधानमंत्री से ऐसे ही दुर्घटना या अन्य कारणों से दिव्यांग हुए लोगों को मिलने वाली बीमा राशि को कर मुक्त करने की भी अपील की है ताकि देश के ऐसे बहुत से दिव्यांगों को जो 60 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांग हैं और अपने परिवार के मुखिया हैं जिन पर परिवार आर्थिक रूप से निर्भर है, को राहत मिल सके।
भीमटा ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके चिट्ठी पर गौर करेंगे और समस्या का हल निकाल सकेंगे।