BY– THE FIRE TEAM
ये कंपनियां जांच एजेंसियों की नजर में तब आईं जब तीन बैंकों ने बीसीईपीएल द्वारा 364 करोड़ रुपये के लोन नहीं चुकाने की शिकायत की और सीबीआई के बेंगलुरु ऑफिस में प्राथमिकियां (FIRs) दर्ज करा दीं।
वाई एस चौधरी की सुजाना ग्रुप की कंपनी BCEPL के खिलाफ तीन बैंकों ने लोन डिफॉल्ट का केस किया था
ईडी ने शुक्रवार को सुजाना ग्रुप की बैंक धोखाधड़ी केस में हैदरबाद और दिल्ली के आठ ठिकानों की तलाशी ली
अक्टूबर महीने में तलाशी अभियान के दौरान ईडी ने विभिन्न शेल कंपनियों के 126 रबर स्टांप सीज किए थे।
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राज्यसभा सांसद वाई एस चौधरी के ठिकानों पर तलाशी अभियान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उनसे चौधरी और उनके सहयोगियों की नियंत्रण वाली कंपनियों द्वारा बैंकों को 57 अरब रुपये का चूना लगाए जाने का मामला उजागर हुआ है। चौधरी एनडीए सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री रह चुके हैं।
शुक्रवार को ईडी अधिकारियों ने उनके सुजाना ग्रुप की बैंक धोखाधड़ी के मामले में हैदरबाद और दिल्ली के आठ ठिकानों की तलाशी ली थी। एक ठिकाने से मिले डॉक्युमेंट्स में सांसद की ग्रुप कंपनियों पर ईडी, सीबीआई और राजस्व खुफिया निदेशालय (डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) के लंबित मामलों का पता चला है।
इससे पहले, अक्टूबर महीने में तलाशी अभियान के दौरान ईडी ने विभिन्न शेल कंपनियों के 126 रबर स्टांप सीज किए थे।
ये कंपनियां जांच एजेंसियों की नजर में तब आईं जब तीन बैंकों ने बीसीईपीएल द्वारा 364 करोड़ रुपये के लोन नहीं चुकाने की शिकायत की और सीबीआई के बेंगलुरु ऑफिस में प्राथमिकियां (FIRs) दर्ज करा दीं। इन बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 133 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक ने 71 करोड़ रुपये को लोन डिफॉल्ट का, तो कॉर्पोरेशन बैंक ने 159 करोड़ रुपये के घाटे का मुकदमा दर्ज कराया।
बीसीईपीएल चौधरी के मालिकाना हक वाले एक मकान से संचालित होती है। उसी बिल्डिंग से सुजाना ग्रुप की अन्य कंपनियां भी संचालित होती हैं।
ईडी ने चौधरी को इस संबंध में पूछताछ के लिए 27 नवंबर को तलब किया गया है। ईडी ने शुक्रवार को पूर्व मंत्री के हैदराबाद स्थित आवासीय परिसर से छह बेहद लग्जरी कारें भी जब्त कीं। इनमें फेरारी, रैंज रोवर, मर्सिडीज बेंज आदि शामिल हैं। सभी छह कारों के रजिस्ट्रेशन फर्जी कंपनियों के नाम पर हुए हैं।
ग्रुप कंपनियों से जब्त दस्तावेजों से पता चला है कि एमपी और उनके सहयोगियों ने कम-से-कम 120 शेल कंपनियां बनाकर कथित रूप से धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की गतिविधियों को अंजाम दिया।
हालांकि, टीडीपी सांसद ने ईडी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि वह किसी सुजाना ग्रुप कंपनियों के न तो चेयरमैन हैं और न ही किसी बड़े पद पर आसीन हैं क्योंकि वह 2010 में इन कंपनियों से अलग हो गए थे।
चौधरी ने कहा, ‘ईडी ने जिन छह कारों को जब्त किया, उनमें तीन अलग-अलग व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्रर्ड हैं जबकि तीन अन्य कारों के रजिस्ट्रेशन कंपनियों के नाम पर हुए हैं। जिन तीन कंपनियों के नाम पर ये कारें हैं, वे नकली नहीं हैं। इन कंपनियों में मेरी 1% की महज सांकेतिक हिस्सेदारी है।’
ईडी ने कहा, ‘इन जब्त डॉक्युमेंट्स और रिकॉर्ड्स की छानबीन से संकेत मिले हैं कि बीसीईपीएल (बेस्ट ऐंड क्रॉम्प्टन इंजिनियरिंग प्रॉजेक्ट्स लि.), चेन्नै के साथ-साथ सुजाना ग्रुप की अन्य कपनियां टीडीपी के मौजूदा राज्यसभा सांसद वाई सत्यनारायण चौधरी की अध्यक्षता में काम कर रही थीं।’ जब्त दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि सुजाना ग्रुप के चेयरमैन चौधरी ही थे।
बीसीईपीएल के डायरेक्टरों ने कहा कि वाई एस चौधरी ही सुजाना ग्रुप की कंपनियों की सभी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं और उन्होंने चौधरी के कहने पर दस्तखत किए। चौधरी ने उन्हें ऐसा करने के लिए या तो खुद ही कहा या फिर ग्रुप के सीएफओ के जरिए कहलवाया।
उनका कहना है कि वे सिर्फ नाम के डायरेक्टर्स हैं।
वहीं चौधरी ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि 6,000 करोड़ और 120 कंपनियों के आंकड़े कहां से आए। परिसर में कई कंस्लटंसी फर्म्स हैं। मेरा बेस्ट ऐंड क्रॉम्प्टन से कोई संबंध नहीं है। कंपनी के डायरेक्टर्स मुश्किलों से बचने के लिए मेरे खिलाफ बायन दिए होंगे।’
(साभार-टाइम्स न्यूज नेटवर्क)