आज़म खान पर बकरी चोरी का मुकदमा दर्ज करने वाली पुलिस चिन्मयानंद पर बालात्कार की FIR नहीं दर्ज कर पा रही है?


BY- सलमान अली


आज़म खान उन नेताओं में शामिल हैं जो आपातकाल के समय सबसे ज्यादा वक्त तक जेल में रहे थे। यह बात शायद आपको भी न पता हो।

आज़म उन नेताओं में भी शामिल हैं जिन्होंने लोकतंत्र को बचाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है। आप जब रामपुर जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि यह काफी साफ-सुथरा और बेहतरीन शहर है।

बेहतरीन शहर के पीछे आज़म खान का ही नाम है। रामपुर के छोटे से परिवार से ताल्लुक रखने वाले आज़म ने जो रामपुर की जो तस्वीर बदली उसके कारण ही वह मोदी लहर में भी अपनी और अपने बेटे की कुर्सी बचा पाए।

लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आज़म खान ने रामपुर के शाही घराने से लड़ाई लड़ी। आम आदमी को हक़ दिलाने के लिए सड़क से लेकर जेल तक लड़ाई लड़ी।

आज रामपुर में राजशाही खानदान की हालत यह है कि कांग्रेस अब टिकट भी नहीं देती।

मैं जब रामपुर गया तो लोगों ने कहा कि आजम मुस्लिमों से ज्यादा हिंदुओं की सुनते हैं। शायद यही कारण है कि आज उनको रामपुर में हराने की कोई सोच भी नहीं सकता।

लेकिन बीजेपी अन्य मुस्लिम नेताओं की जगह आज़म के पीछे क्यों पड़ी है इसकी भी अपनी एक वजह रामपुर में उनकी तोती बोलना है।

बहरहाल जिस बीजेपी की सरकार में आज़म पर बकरी चोरी से लेकर भैंस चोरी जैसे 80 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। उसी योगी सरकार में चिन्मयानंद पर अभी तक बालात्कार की एफआईआर नहीं दर्ज हो पाई है।

जबकि पीड़िता ने आत्म दाह की धमकी भी दी है। क्या हम पीड़िता की मौत का इंतजार कर रहे हैं?

क्या जिस प्रकार से उन्नाव बालात्कार में हुआ वैसा ही इसमें भी सरकार चाहती है?

एक तरफ 43 वीडियो की पेनड्राइव पीड़िता उपलब्ध कराती है तो दूसरी तरफ बालात्कार के अरोपी चिन्मयानंद बीमार का ढोंग कर इलाज शुरू कर देता है।

तीन तलाक पर सजा का कानून लाने वाली मोदी सरकार की बालात्कार पर ऐसी चुप्पी समाज और देश के लिए सही नहीं है।

 

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