राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पीने योग्य पानी के दुरुपयोग और बर्बादी के संबंध में डाली गई याचिका का संज्ञान लेकर अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि इसको रोकने और निगरानी करने की आवश्यकता है.
एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की अध्यक्षता करने वाली एक बेंच ने टिप्पणी करते हुए पानी की बर्बादी रोकने की मांग करने वाली याचिकाकर्ता से कहा कि-
“वह कानून के तहत संवैधानिक अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया. पीठ ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है की पानी की बर्बादी को रोका जाना चाहिए किंतु मुद्दा निरंतर निगरानी का है जो संबंधित अधिकारियों द्वारा ही किया जाना चाहिए.”
पानी की बर्बादी तथा लोगों की लापरवाही को देखते हुए दिल्ली शहर के निवासी महेश चंद्रा ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने यह फैसला सुनाया है.
आवेदक ने यह भी मांग किया था कि पानी भरने की प्रक्रिया की निरंतर निगरानी होनी चाहिए तथा एक ऑपरेटर केविन की स्थापना की जानी चाहिए.
साथ ही उसमें सीसीटीवी कैमरा भी लगाने की व्यवस्था करने की आवश्यकता है. दरअसल सरकारी एजेंसियों के द्वारा पीने योग्य पानी का अंधाधुंध दुरूपयोग किया जाया है, जिसको यथाशीघ्र रोकने तथा ठोस कार्यवाही करने की जरूरत है.