बात है गुजरात के राज्यसभा चुनाव की, जब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी NOTA के खिलाफ थी |दोनों पार्टियों ने तब विरोध किया था जब गुजरात सदन के सचिव ने कहा कि हम MLA को बैलेट पेपर में NOTA का भी विकल्प देंगे |
दोनों पार्टी धुर विरोधी होने के बावजूद इस मामले में एक साथ आकर चुनाव आयोग और उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाई थी |उस समय सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया था यह कहते हुए कि 2014 से अब तक आपने विरोध क्यूँ नही किया |आज 2017 में अचानक तीन साल बाद आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं |
आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में 12 सदस्य राष्ट्रपति नामिनेट करते हैं और बाकि सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैंयानी जनता सीधे नही चुनती है |मौजूदा समय में राज्यसभा में 245 सदस्य चुने जाते हैं |अब दरसल पार्टियाँ इतनी चिंता में इसलिए पड़ गयीं क्योंकि एंटी डीफेक्सन 1985 (दल बदल निरोधक अधिनियम 1985 )भी लागू नही होता है |जिससे वह अपनी पार्टी कि व्हिप के खिलाफ वोट कर सकते हैं ,अपनी पार्टी से पैसा मांग सकते हैं ,दूसरी पार्टीयों से भी पैसा लेकर वोट कर सकते हैं या कोई पैसा ना मिलने की दसा में NOTA पर देने कि धमकी दे सकते हैं |
इससे MLA को पॉवर मिल रही थी |राज्यसभा चुनाव में MLA को प्रेफेरेन्स मिलता है किसको चुनना है औरइस चुनाव में गुप्त मतदान नही होता है |
सुप्रीम कोर्ट अपने पुराने फैसलों में कह चुकी है कि राज्यसभा चुनाव में खुलेमत की प्रक्रिया में पार्टी व्हिप के खिलाफ वोट करने पर MLA का निष्कासन 10TH अनुसूची या दल बदल निरोधक अधिनियम 1985 के तहत नही होगा |जबकि लोकसभा सदस्यों पर यह लागू नही होता है ,अगर वो ऐसा करते हैं तो उनकी सदस्यता जा सकती है|
कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीमकोर्ट में इसको हटाने को लेकर याचिका दाखिल की थी | जिसकी उस समय सुप्रीमकोर्ट ने 13 सितम्बर से सुनवाई की तारीख मुकर्रर की थी |कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसकी पैरवी करते हुए कहा इस प्रक्रिया से हॉर्स ट्रेडिंग का बढ़ावा मिल रहा है |इस केस की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे थे| जिसमे सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यसभा के चुनाव NOTA का विकल्प इस्तेमाल नहीं होगा |यह केवल प्रत्यक्ष चुनाव में ही इस्तेमाल होगा |