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भारतीय जनता पार्टी एवं उसके घटक दल वर्ष 2014 से ही जो नई-नई नीतियां तथा राजनीतिक घोषणाएं करते रहे हैं, वह देश में एक नए प्रयोग की भांति लिया जाता रहा है.

वर्तमान में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एनडीए की तरफ से आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू के नाम का ऐलान करके राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है.

आजाद भारत के इतिहास में यह महत्वपूर्ण पड़ाव सिद्ध होगा यदि राष्ट्रपति के चुनाव में द्रोपदी को जीत मिलती है. कहीं ना कहीं द्रोपदी सिर्फ एक महिला उम्मीदवार नहीं है

बल्कि भाजपा ने इनके द्वारा आदिवासियों को साधने के अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत करने का कार्य किया है.

भाजपा ने जब रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण को नामित किया था अथवा दलित नेता एवं वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जब फ्रंट सीट पर लाया गया तो सारे लोग चौंक गए थे.

आपको बता दें कि द्रोपदी मुर्मू को देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का भी गौरव प्राप्त है. इसके अतिरिक्त इन्होंने झारखंड में राज्यपाल के रूप में कुल 6 वर्ष, 1 माह, 18 दिन तक का निर्विवाद कार्यकाल पूरा किया है.

इसके साथ ही साथ राज्य के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी उनकी पारी यादगार रही है.

झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने से पहले द्रोपति मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में भी काम कर चुकी हैं.

इन्हें झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य जुड़े मुद्दों पर अच्छा ज्ञान है और इसके प्रति वह बहुत ही गंभीर रही हैं.

उन्होंने वर्ष 2016 में राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर खुद लोक अदालत लगाई थी जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षकों तथा कर्मचारियों के लगभग 5,000 मामलों का निपटारा कर दिया गया था.

फिलहाल देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, यह तो चुनाव तय करेगा किंतु उससे पहले विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए भाजपा ने जो शिगूफा छोड़ा है वह बहुत दूर तक जाएगा.

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