ये देश है या माफियाओं का राजनीतिक तंत्र? आलेख: महेंद्र मिश्र

NEW DELHI: माफिया केंद्र को चला रहा है या फिर केंद्र माफियाओं के सहारे चल रहा है, कुछ कह पाना मुश्किल है. देश और विदेश से सामने आयी दो सूचनाओं ने न केवल

एक गणतंत्र के रूप में भारत की पहचान को शर्मसार किया है, बल्कि भारत की 70 सालों की आधुनिक लोकतांत्रिक विरासत को भी कलंकित कर दिया है.

यह भारत के चेहरे पर ऐसा बदनुमा दाग बनने जा रहा है, जिसे अगले कई दशकों तक देश के लिए मिटा पाना मुश्किल होगा और पूरे मुल्क के एक ऐसे देश की श्रेणी में खड़े हो जाने का खतरा है, जिससे उबरने में उसे सैकड़ों साल लग सकते हैं.

क्या आपने कभी सुना है कि कोई सरकार और उसके राजनयिक देश के माफियाओं के साथ मिलकर विदेशों में तमाम आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं?

यह आरोप कनाडा ने लगाया है, वहां के प्रधानमंत्री ट्रूडो और उसकी एक मंत्री ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके भारत के कनाडा में राजदूत रहे संजय वर्मा समेत 6 राजनयिकों की

राजनयिक प्रतिरक्षा खत्म कर उन्हें पूछताछ के लिए कनाडा के हवाले करने की मांग की है, क्योंकि उनके मुताबिक खालिस्तान समर्थक निज्जर की हत्या के मामले में ये सभी पर्सन ऑफ द इंटरेस्ट हैं.

भारत सरकार द्वारा ऐसा नहीं करने पर कनाडा ने इन सभी को अपने देश से निकालने का फरमान जारी कर दिया है. हालांकि भारत सरकार ने न केवल कनाडा के आरोपों को खारिज कर दिया है,

बल्कि उसी तर्ज पर भारत स्थित कनाडाई दूतावास के छह राजनयिकों को भी देश से निकाल दिया है. लेकिन यह सब करने के बाद भी आरोपों से निजात नहीं मिल जाती.

यह मामला इसलिए और ज्यादा गंभीर हो जाता है क्योंकि कनाडा ने ये सारी खुफिया सूचनाएं इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ भी साझा की है, जो फाइव आईज के देश हैं और जिनका आपस में खुफिया सूचनाओं के साझा करने की परंपरा के साथ आपसी कानून है.

उसी का नतीजा है कि इंग्लैंड और अमेरिका समेत सभी देशों ने भारत से इस मामले में कनाडा के साथ सहयोग करने की अपेक्षा की है. इस मामले में अगर कनाडा के साथ रिश्ते कमजोर होते हैं,

तो उसका सीधा असर बाकी के इन देशों पर भी पड़ेगा। और वैसे तो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में जो थू-थू होगी, उसका तो कोई हिसाब ही नहीं.

आरोपों के मामले में कनाडा केवल राजनयिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि उसने तो यहां तक कह दिया है कि इन सब आपराधिक कार्रवाइयों के पीछे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह थे.

अब इससे बड़ा संगीन खुलासा और क्या हो सकता है? और अगर जांच का कोई मामला बढ़ता है, तो निश्चित तौर पर उसके घेरे में देश के गृहमंत्री होंगे.

इसी तरह से पन्नू की हत्या की साजिश के मामले की अमेरिकी एजेंसियां भी जांच कर रही हैं और उन्होंने भारतीय एजेंसियों की एक टीम के साथ काम करना शुरू कर दिया है.

इस मामले में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम सामने आ गया है. एक शख्स पहले से ही अमेरिका में गिरफ्तार हो चुका है और उससे पूछताछ की जा रही है.

यहां तक कि अमेरिका की एक स्थानीय कोर्ट में अजीत डोभाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है और उसमें पेशी के लिए डोभाल के खिलाफ समन तक जारी हो चुका है.

यही वजह है कि अभी हाल की अमेरिकी यात्रा में पीएम मोदी के साथ अजीत डोभाल नहीं गए थे. इस मामले में जांच के लिए जो भारतीय एजेंसी बनी है, उसकी अगुआई एक दूसरे डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कर रहे हैं.

(To be continued…)

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