तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण तथा पनपते व्यवसाओं का संज्ञान लेकर लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के विषय में
सर्वोच्च न्यायालय ने भी तत्परता दिखाते हुए कहा है कि– “पर्यावरण की सुरक्षा नागरिक अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके नागरिक अधिकार पर्यावरण के अधीन हैं.”
एक जंगल हमेशा एक जंगल ही होता है जब तक कि उसे अधिसूचित नहीं किया जाता है. इस तरह की बातें वन संरक्षण अधिनियम 1980 में भी बताई गई है.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति सिटी रवि कुमार की पीठ ने पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम 1999
के तहत उन दलीलों पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर वन तथा गैर वन भूमि से जुड़ा मुद्दा वरीयता क्रम में ऊपर रखा जाएगा.
यहां आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट का यह कथन विभिन्न व्यवसायियों के द्वारा दाखिल की गई अपील के विषय में जारी किया गया है.