BY-THE FIRE TEAM
उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना ने बिसाहड़ा (दादरी) में अखलाक हत्याकांड के मुख्य आरोपी रुपेन्द्र को नोएडा संसदीय सीट से चुनाव में उतारने का निर्णय किया है.
सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी ने बताया कि सोमवार की शाम को वह बिसाहड़ा पहुंच कर इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगे. आपको बताते चलें कि इससे पहले नवनिर्माण सेना राजस्थान के राजसमंद में एक मुस्लिम की हत्या करने वाले शंभूलाल रैगर को आगरा लोकसभा से चुनाव लड़ाने की घोषणा कर चुकी है.
उनका कहना है कि उनकी पार्टी द्वारा 18 अक्टूबर को मथुरा में धर्म संसद बुलाने की तैयारी भी की जा रही है. मेरठ निवासी अमित जानी विवादों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. वह मायावती की मूर्ति तोड़ने के मामले में जेल भी जा चुके हैं.
PTI:PHOTO(ekhlaq)
दिल्ली के पास यूपी में दादरी बिसाहड़ा गांव में भीड़ ने एक वायुसेना कर्मी के 50 वर्षीय पिता की पीट-पीटकर इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि ये अफ़वाह थी कि उसने और उसके परिवार ने गौमांस खाया और घर में रखा.
यह घटना दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के दादरी में हुई, जहां मोहम्मद अखलाक और उसके बेटे को गांववाले घर से बाहर घसीटकर लाए और उन्हें ईंटों से जमकर पीटा.
इस घटना में अखलाक की मौत हो गई, जबकि उसका बेटा गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं. जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तब भी भीड़ उन दोनों को पीट रही थी. इस मामले में पुलिस ने देर रात छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं अखलाक के परिवारवालों का कहना है कि उन्होंने फ्रीज पर में केवल मटन रखा हुआ था.
पुलिस ने मीट को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि यह परिवार पिछले 35 सालों से इस गांव में रह रहा था. वह अफवाह के बारे में जांच कर रही है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एस किरण ने कहा था कि हमने पाया है कि लोगों ने उन्हें इसलिए पीटा कि उन्होंने गाय का मांस खाया था.
आपको ज्ञात होगा कि विगत कई महीनों से मॉब लॉन्चिंग की घटनाएं हो रही हैं. उन्मादी भीड़ बिना किसी स्पष्ट साक्ष्य के न केवल कानून हाथ में ले रही है बल्कि महज शक के आधार पर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने में भी नहीं हिचकिचा रही है. इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री सहित उपराष्ट्रपति ने भी खेद व्यक्त किया और लोगों से शांति बनाने की अपील की.
इसके अलावे द फायर की टीम ने भी अपने पोस्ट में एक विस्तृत लेख लिखा था जिसमे देश के अंदर विभिन्न स्थानों जैसे- राजस्थान,उत्तरप्रदेश,झारखण्ड आदि पर होने वाली घटनाएं तथा मॉब लिंचिंग का उल्लेख किया था.
हैरत करने का पहलू यह है कि आखिर कैसे हत्या के आरोपियों को जनप्रतिनिधित्व करने का अधिकार राजनितिक दलों द्वारा दे दिया जाता है.?
और जनता केवल मूकदर्शक बनी देखती रह जाती है इसके पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं ? जब लोकतान्त्रिक देश में जनता ही सर्वपरि है तो फिर क्यों अपने अधिकारों का प्रयोग करके ऐसे नेताओं को ख़ारिज नहीं कर देती ?
न्याय करने का कार्य तो अदालतों का है फिर भीड़ कैसे इसे संचालित कर देती है ? दरअसल ये प्रश्न कई तथ्यों को अपने अंदर समाहित किये हुए हैं जिनका विश्लेषण करना होगा तभी हम किसी सार्थक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं.