भारत में लोकतंत्र अत्यधिक मजबूत अवस्था में है: नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत स्वराज्य पोर्टल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया कि भारत में कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है जिसके कारण यहां कड़े सुधारों को लागू करवाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है.

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि- पहली बार केंद्र में बड़े स्तर पर सुधारों की चुनौती को स्वीकार किया है. उसने खनन, कोयला, श्रम तथा कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों के सिलसिले को आगे बढ़ाना चाहा है.

उनको लेकर राज्यों में कुछ तनाव के लिए हुए हैं, इनमें से कृषि के संबंध में पारित किए गए तीन प्रमुख विधेयकों को कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा है.

भारत की अगर बात की जाए तो यहां कड़े सुधारों को लागू कर पाना थोड़ा मुश्किल है. इसकी जो मुख्य वजह है वह यहां अतिशय लोकतंत्र का हावी होना है.

केंद्र सरकार ने जो कड़े फैसले लिए हैं और उनको पूरा करने के लिए जो राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है वह कई मायने रखता है. अमिताभ कांत ने भारत की तुलना चीन से भी किया है और कहा कि-

“यदि हमें चीन से मुकाबला करना है तो अपने सुधार प्रक्रियाओं को और तेज करने की जरूरत है.” भारत में विकास वृद्धि के लिए जरूरी है कि देश के जो 10 से 12 बड़े राज्य हैं यदि उनमें उच्च दर से विकास किया गया तो अन्य राज्य भी इसके लिए प्रोत्साहित होंगे.

आज किसान केंद्र सरकार के सिर पर चढ़े हुए हैं जिससे निकलने का रास्ता केंद्र को नहीं सूझ रहा है. इन कठिन परिस्थितियों में भी अपने सुधारों को लेकर केंद्र अपनी जिद पर अड़ा हुआ है.

यह सही है कि कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है हमें यह समझना जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था बनी रहेगी, मंडियों में जैसा काम होता है, वैसा होता रहेगा,

किसानों के पास अपनी रुचि के हिसाब से अपनी उपज बेचने का भी विकल्प होना चाहिए क्योंकि अंततः इसका लाभ किसानों को ही प्राप्त होगा.

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