यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश का कायाकल्प करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं किंतु बावजूद इसके
हाल ही में नीति आयोग द्वारा जो बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया गया है वह चौंकाने वाला आने वाला है.
जी हां इस सूचकांक में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक गरीबी के मामले में तीसरे स्थान पर आया है. यदि इस रिपोर्ट की अन्य खासियत देखें तो
पता चलता है कि उत्तर प्रदेश की 37.7 9% जनसंख्या गरीब है जो बिहार और झारखंड के बाद देश में सबसे अधिक है.
नीति आयोग का प्रथम बहुआयामी गरीबी सूचकांक आया सामने –
जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड देश के सबसे गरीब राज्य।#BharatJodoYatra pic.twitter.com/0PezTMGDxI— West Uttar Pradesh Congress Sevadal (@SevadalUPW) September 26, 2022
वहीं उत्तर प्रदेश की 44.47% जनसंख्या कुपोषण का शिकार है जबकि सिक्किम देश का सबसे कम कुपोषित राज्य है.
श्रावस्ती उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब जिले के रूप में सामने आया है जहां की 74.38 फ़ीसदी जनसंख्या गरीब है.
जबकि बहराइच में यह आंकड़ा 71.8 प्रतिशत, बलरामपुर में 69.45 प्रतिशत, लखीमपुर खीरी में 59.95 प्रतिशत तथा गोंडा में 15.2 6% दर्ज किया गया है.
खुश होने का विषय यह है कि लखनऊ राज्य का ऐसा जिला है जहां सबसे कम गरीबी देखने को मिली है, यहां केवल 12.16 प्रतिशत लोग ही गरीब हैं.
आपको बताते चलें की उत्तर प्रदेश को बहू आया में गरीबी सूचकांक में 0.18 स्कोर प्राप्त हुआ है जिसमें ग्रामीण एमपीआई 0.21 जबकि शहरी एमपीआई स्कोर 0.085 है.
इस रिपोर्ट ने निश्चित तौर पर योगी सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है, कहीं ना कहीं सभी विपक्षी दल उनके द्वारा लागू की जा रही सभी कल्याणकारी योजनाओं की हवा निकालने में जुटे हुए हैं.
फिलहाल अब तो वक्त ही तय करेगा कि योगी जी अपने विरोधियों का मुंह कैसे बंद करके अपने राजनीतिक छवि को मजबूत दिखाएंगे.?