जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को बाध्य नहीं किया जा सकता: केंद्र सरकार

मिली सूचना के मुताबिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में पूछे गए जन सूचना अधिकार के संबंध में केंद्र सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इसके लिए वह लोगों पर दबाव नहीं डाल सकती है.

अपने परिवार के आकार का फैसला दंपत्ति स्वयं अपनी इच्छा अनुसार कर सकते हैं. केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को भी स्पष्ट तौर पर बताया है कि लोगों पर परिवार नियोजन थोपना हानिकारक होगा और इससे जनसांख्यिकी विकार पैदा होगा.

जनसंख्या नियंत्रण के विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पेश किए गए हलफनामे में बताया गया है कि सभी दंपत्ति अपनी इच्छा अनुसार परिवार नियोजन के तरीके अपना सकते हैं और इसमें किसी तरह की कोई अनिवार्यता नहीं है.

जैसा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का कार्य राज्य सरकारें अपनी निगरानी में विभिन्न योजनाओं और दिशानिर्देशों के जरिए करती हैं. ऐसे में राज्य सरकारें संबंध में स्वयं संज्ञान लेते हुए नियम तय कर सकती हैं.

जैसा कि कानून बनाना संसद और राज्य विधायिकों का काम है अतः अदालतों का हस्तक्षेप करना तर्कसंगत नहीं है जब तक कि जनभावनाएं प्रभावित न होती हों.

आपको यहां बताते चले कि भारत की आबादी चीन से भी अधिक हो गई है तथा 20% भारतीयों के पास तो आधार ही नहीं है. इन सब चुनौतियों को देखते हुए देश के आंतरिक सुरक्षा को पुख्ता करने के उद्देश्य से

जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है. हालांकि ऐसे कानून की जरूरत है जो नागरिकों पर बिना मनोवैज्ञानिक दबाव डाले ही सहाजता पूर्वक उसे लागू किया जा सके.

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