BY- THE FIRE TEAM
उत्तर प्रदेश के संभल जिले से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक 40 वर्षीय व्यक्ति जब अपने भतीजे को डॉक्टर के पास ले जा रहा था तब भीड़ ने उसे बच्चा चोरी के शक में पीट-पीट कर मार डाला।
घटना मंगलवार को हुई और जब भीड़ द्वारा हमला हुआ तब मृतक का भाई दोनों के साथ था, हमले में वो भी गंभीर रूप से घायल हो गया।
पुलिस ने कहा कि राजू और रामावतार, संभल के चौबरा गांव के दोनों निवासियों पर हमला किया गया, बच्चा गंभीर पेट दर्द की वजह से रो रहा था और लोगों को लगा कि दोनों व्यक्ति उसका अपहरण करके लेजा रहे हैं।
अखबार ने चंदौसी के पुलिस थाना प्रभारी धरम के हवाले से बताया, “राजू और राम पहले लड़के को रीथ गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गए, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने उन्हें चंदौसी ले जाने का सुझाव दिया।”
रोते हुए बच्चे को देखकर शहरवासी उत्तेजित हो गए क्योंकि सोशल मीडिया पर बच्चे को उठाने वालों को लेकर पोस्ट किए गए हैं। उन्होंने फिर लोहे की छड़, लाठी और पत्थरों से भाइयों पर हमला कर दिया।
राजू की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 42 वर्षीय रामावतार को चंदौसी के एक अस्पताल में ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें मुरादाबाद के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।
रामावतार ने आरोप लगाया कि भीड़ ने उनसे 15,000 रुपये और एक मोबाइल फोन भी लूट लिया।
संभल के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने कहा कि घटनास्थल से एकत्र किए गए वीडियो साक्ष्य के आधार पर, चार लोगों को हत्या और दंगे के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है और 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (पहली सूचना रिपोर्ट) दर्ज की गई है।
यमुना प्रसाद ने बताया, “हम उन्हें जल्द ही गिरफ्तार करेंगे। रामावतार की हालत अभी स्थिर है।”
उन्होंने स्थानीय लोगों से सोशल मीडिया पर प्रचारित अफवाहों पर विश्वास न करने को कहा। छह लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 148 (दंगाई) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई है।
बच्चों के अपहरण की अफवाहों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले दो हफ्तों के भीतर कम से कम 20 भीड़ हमले के मामले सामने आए हैं।
मेरठ जोन के पुलिस महानिरीक्षक आलोक सिंह ने विभिन्न जिलों में बाल अपहरण की अफवाह फैलाने के खिलाफ एक सलाह जारी की है और चेतावनी दी है कि अपराधियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक (शहर) आलोक कुमार ने कहा, “ग्राम प्रधानों और चौकीदारों को अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “यह देखा गया है कि निहित स्वार्थ वाले लोग बच्चे उठाने के फर्जी वीडियो बना रहे हैं और उन्हें वायरल कर रहे हैं। हम सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।”
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