केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिल के खिलाफ किसान संगठनों का गुस्सा अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका है. पिछले 8 दिनों के मैराथन बैठक के बाद भी सरकार और कृषकों के बीच कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका है.
अपने आक्रोश को व्यक्त करने के लिए किसान संगठनों के द्वारा 3 दिन में तीन कार्यक्रम यानी पुरस्कार वापसी, भारत बंद और पुतला दहन संचालित करने का निर्णय लिया गया है.
आपको यहां बता दें कि बीते 5 दिसंबर को किसान नेता गुरनाम सिंह ने अदानी, अंबानी और नरेंद्र मोदी सरकार का पुतला फूंकने की अपील किया था और उन्होंने कहा था कि देश के अंदर जो आंदोलन चल रहा है वह जनता बनान कारपोरेट है.
He is BKU Haryana state president Gurnam Singh Chadhuni, Leading the protest
He says:
-Kya baat karenge krishi mantri se
-Use to pata hi nahi hai, usne bill nahi banaye hai
-Usne bulaya hai to hume jana bhi nahi chahiyeIt's clear, they are not ready to even listen.. pic.twitter.com/TtXTcio8JJ
— Abhishek Panchal (@ipradhanjii) November 27, 2020
आज पूरे देश की अर्थव्यवस्था चंद लोगों के कब्जे में जा चुकी है, देश भुखमरी के कगार पर है. इस आंदोलन में हम सभी लोगों का सहयोग चाहते हैं. किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है.
इस संबंध में स्वयं राहुल गांधी ने ट्वीट करके लोगों से किसान आंदोलनों के समर्थन में खड़ा होने की अपील किया है.
बिहार का किसान MSP-APMC के बिना बेहद मुसीबत में है और अब PM ने पूरे देश को इसी कुएँ में धकेल दिया है।
ऐसे में देश के अन्नदाता का साथ देना हमारा कर्तव्य है। pic.twitter.com/Err20Pp0kv
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 5, 2020
बंगाल से आए पूर्व सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नान मौला ने मीडिया को अपने दिए साक्षात्कार में बताया कि कृषि कानूनों में संशोधन पर बात नहीं बनेगी क्योंकि पूरा कानून सिर से लेकर पैर तक सड़ा हुआ है, केंद्र सरकार को इसे वापस लेना ही होगा.
We need to take this protest forward. Government has to take back the farm laws: Hannan Mollah, General Secretary, All India Kisan Sabha, at Singhu border (Delhi-Haryana border) https://t.co/g2UawVpjFW pic.twitter.com/sBRIzpCHJb
— ANI (@ANI) December 4, 2020
किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली को घेरने की अपनी रणनीति को और ठोस बनाने के उद्देश्य से देशभर से किसानों से अपील किया है कि वह दिल्ली पहुंचे.
ऐसी संभावना है कि यह लड़ाई लंबी चलेगी और आर-पार की लड़ाई जाएगी. हम कारपोरेट फार्मिंग किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे, ऐसे सभी किसानों का कहना है.