किसानों के समर्थन में खिलाड़ी करेंगे पुरस्कार वापस, 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिल के खिलाफ किसान संगठनों का गुस्सा अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका है. पिछले 8 दिनों के मैराथन बैठक के बाद भी सरकार और कृषकों के बीच कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका है.

अपने आक्रोश को व्यक्त करने के लिए किसान संगठनों के द्वारा 3 दिन में तीन कार्यक्रम यानी पुरस्कार वापसी, भारत बंद और पुतला दहन संचालित करने का निर्णय लिया गया है.

आपको यहां बता दें कि बीते 5 दिसंबर को किसान नेता गुरनाम सिंह ने अदानी, अंबानी और नरेंद्र मोदी सरकार का पुतला फूंकने की अपील किया था और उन्होंने कहा था कि देश के अंदर जो आंदोलन चल रहा है वह जनता बनान कारपोरेट है.

आज पूरे देश की अर्थव्यवस्था चंद लोगों के कब्जे में जा चुकी है, देश भुखमरी के कगार पर है. इस आंदोलन में हम सभी लोगों का सहयोग चाहते हैं. किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है.

इस संबंध में स्वयं राहुल गांधी ने ट्वीट करके लोगों से किसान आंदोलनों के समर्थन में खड़ा होने की अपील किया है.

बंगाल से आए पूर्व सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नान मौला ने मीडिया को अपने दिए साक्षात्कार में बताया कि कृषि कानूनों में संशोधन पर बात नहीं बनेगी क्योंकि पूरा कानून सिर से लेकर पैर तक सड़ा हुआ है, केंद्र सरकार को इसे वापस लेना ही होगा.

किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली को घेरने की अपनी रणनीति को और ठोस बनाने के उद्देश्य से देशभर से किसानों से अपील किया है कि वह दिल्ली पहुंचे.

ऐसी संभावना है कि यह लड़ाई लंबी चलेगी और आर-पार की लड़ाई जाएगी. हम कारपोरेट फार्मिंग किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे, ऐसे सभी किसानों का कहना है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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