पूर्व सांसद और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर अंसारी ने कहा कि वर्तमान संसद पर मनुवादी-कॉरपोरेट शक्तियों का वर्चस्व है.
इस वर्चस्व को तोड़ने और संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए पटना में यह बहुजन संसद आयोजित है. बहुजनों की एकजुटता और दावेदारी के रास्ते ही मनुवादी-कॉरपोरेट फासीवादी शक्तियों का निर्णायक मुकाबला हो सकता है.
उन्होंने कहा कि बिहार में जमीन पर भाजपा-आरएसएस ने विभाजन व उन्माद की मुहिम को तेज कर दिया है. एकतरफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं
तो दूसरी तरफ तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ हिंसा की झूठी खबर फैलाकर क्षेत्रीय उन्माद फैलाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है.
बजरंग दल ने बेगूसराय में गैंगरेप और सारण में मॉब लिचिंग की खौफनाक घटनाओं को अंजाम दिया है.
पसमांदा मुसलमान निशाने पर हैं, नरेन्द्र मोदी और भाजपा द्वारा पसमांदा मुसलमानों के लिए स्नेह की बात करना क्रूर मजाक है.
बहुजन संसद की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध चिकित्सक व चिंतक डॉ. पीएनपी पाल ने कहा कि संविधान व लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई को विपक्षी राजनीतिक शक्तियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है.
बहुजन समाज को संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होकर मजबूती से मनुवादी-कॉरपोरेट फासीवादी ताकतों का मुकाबला करना होगा.
पत्रकार-लेखक डॉ. सिद्धार्थ रामू ने बताया कि मनुवाद और कॉरपोरेट गठजोड़ हिंदू राष्ट्र की परियोजना को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में बढ़ रहा है.
इसलिए संविधान व लोकतंत्र को ठिकाने लगाया जा रहा है. हिंदू राष्ट्र की मुहिम का जवाब बहुजन राष्ट्र की अवधारणा से ही दिया जा सकता है.
बहुजन आंदोलन को मनुवाद और कॉरपोरेट गठजोड़ को निशाने पर लेते हुए राष्ट्र निर्माण के एजेंडा के साथ आगे बढ़ना होगा.
डीयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा कि भाजपा-आरएसएस धर्म की आड़ लेकर बहुजनों का हक-अधिकार छीन रही है, अपमान थोप रही है.
एक तरफ नरेन्द्र मोदी सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण को निशाने पर ले रखा है तो दूसरी तरफ संविधान को बदलते हुए EWS आरक्षण लागू कर दिया है.
नरेन्द्र मोदी सरकार नयी शिक्षा नीति-2020 के जरिए बहुजनों को शिक्षा से बेदखल कर वर्ण-जाति व्यवस्था को मजबूत बनाने की ओर बढ़ रही है.
भाजपा-आरएसएस को निर्णायक शिकस्त देने के लिए बहुजन समाज की एकजुटता जरूरी है. जेएनयू के पूर्व छात्र नेता प्रशांत निहाल ने कहा कि
“मनुवादी शक्तियां तार्किक व वैज्ञानिक सोच के खिलाफ हैं. बहुजन विरासत का महत्वपूर्ण तत्व तर्कवाद व वैज्ञानिकता है.
मनुवादी शक्तियां तर्क को अपराध के बतौर स्थापित करने के लिए आक्रामक हैं. मनुवादी ताकतें एक महाकाव्य रामचरित मानस को तर्क व आलोचना से परे घोषित करते हुए धर्म ग्रंथ बता रही है.
एक प्रगतिशील-लोकतांत्रिक समाज में धर्म और धर्म ग्रंथ भी तर्क व आलोचना से परे नहीं हो सकता है. महाराष्ट्र के मुस्लिम सत्यशोधक मंडल के अध्यक्ष डॉ. शमुसुद्दीन तंबोली ने कहा कि
“नरेन्द्र मोदी सरकार सेकुलरिज्म को संविधान से बाहर निकाल फेंकने की साजिश कर रही है. सेकुलरिज्म, सामाजिक न्याय व लोकतंत्र एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है.”
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी के भयानक धोखाधड़ी को सामने ला दिया है.
अपने यार को बचाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है. दूसरी तरफ विपक्ष की आवाज को खामोश कर देने के लिए सीबीआइ और इडी का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि आज से लेकर 2024 चुनाव तक संविधान और लोकतंत्र को बचाने की चाहत रखने वाले लोगों के सामने एकमात्र कार्यभार आरएसएस-भाजपा को शिकस्त देने के लिए अपनी अधिकतम ताकत व ऊर्जा लगाना है.
इतिहास ने हमारे सामने चुनौती के साथ ऐतिहासिक भूमिका को निभाने का अवसर भी प्रस्तुत किया है. बहुजन संसद का संचालन करते हुए गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि
“केवल ऊपरी राजनीतिक गठबंधन बनाकर भाजपा का मुकाबला नहीं हो सकता है. जमीनी स्तर पर बहुजन समाज की एकजुटता बनाने की मुहिम की जरूरत है.
यह बहुजन संसद उसी दिशा में लिया गया पहल है. बहुजन संसद का संचालन करते हुए सुबोध यादव ने कहा कि बहुजन विरासत,
पहचान व एजेंडा को बुलंद करते हुए ही भाजपा-आरएसएस से निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सकती है. ‘ए टू जेड’ का राजनीतिक फार्मूला भाजपा-आरएसएस के खिलाफ कारगर नहीं हो सकता.
अंत में बहुजन संसद में अबाध कॉरपोरेट लूट व निजीकरण, बेलगाम महंगाई व बेरोजगारी, नयी शिक्षा नीति-2020, बढ़ते मनुवादी-पितृसत्तात्मक व सांप्रदायिक हिंसा,
संविधान व लोकतंत्र पर बढ़ते चौतरफा हमले के खिलाफ जाति जनगणना कराने, शासन-सत्ता और जमीन व संपत्त्ति-संसाधनों में
बहुजनों की आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी, शिक्षा-स्वास्थ्य अधिकार, EWS आरक्षण रद्द करने जैसे सवालों पर संघर्ष का संकल्प लिया गया.
स्वागत भाषण करते हुए गौतम आनंद ने कहा कि आजादी के बाद बहुजनों द्वारा हासिल उपलब्धियों को नरेन्द्र मोदी सरकार लगातार छीन रही है.
अन्य वक्ताओं में पूर्व विधायक एन.के. नंदा, मुख्तार अंसारी, रामानंद पासवान, शशि प्रभा, सुमन कुमार सिंह, प्रो.ताजुद्दीन मंसूरी, ई. ललन कुमार निराला,
मुमताज कुरैशी, ई. हरिश्चन्द्र मंडल, राकेश कुमार, मो. शाहिद, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, रंजन यादव, सूरज यादव, प्रवीण कुमार, रफीक अंसारी, ई. मुरारी, रिंकु यादव आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.