प्राप्त जानकारी के मुताबिक भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी द्वारा फूलन देवी को डकैत बताने का मुद्दा अब तूल पकड़ता जा रहा है.
इस विषय में समाजवादी नेता कालीशंकर ने प्रतिरोध करते हुए बताया कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक में फूलन देवी का सम्मान होता रहा है.
यहाँ तक कि टाइम मैगजीन से लेकर गार्डियन तक में उनके नाम का डंका बज चुका है. एक ग़रीब मल्लाह की बेटी की विश्वस्तरीय मान्यता को स्वीकार कर
क्या भाजपा की सरकार फूलन देवी को भारत रत्न देने की माँग स्वीकारेगी पर, यह भारत के प्रभु वर्ग के लिए कोई आसान काम नहीं है.
लेकिन सामंतवादी सत्ता को एक ग़रीब मल्लाह की विद्रोही बेटी कैसे स्वीकार होगी? अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि सारी दुनिया विश्व इतिहास की श्रेष्ठ विद्रोहिणी के तौर पर फूलन को सलाम करता है.
दुनिया की सबसे लोकप्रिय ‘टाइम’ मैगजीन की नज़र में फूलन देवी श्रेष्ठ है. लंदन का जो ‘गार्डियन’ अखबार भारत के प्रधानमंत्री के मरने पर पर स्मृति लेख नहीं छापता, उसने फूलन पर स्मृति लेख छापा था.
वही फूलन, जो भारतीय गणराज्य के तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण की नज़र में ‘अन्याय के प्रतिकार का प्रतीक’ है.
हिंदुस्तान के दो नेताओं ने फूलन देवी को सम्मान देने का काम किया है जिसमें मान्यवर कांशीराम और नेताजी मुलायम सिंह यादव भी प्रमुख हैं.
मान्यवर कांशीराम साहब ने 1981 में 34 वें स्वतंत्रता दिवस को फूलन देवी वर्ष मनाकर फूलन देवी के नाम पर एक पूरे साल का नाम रखा था.
वहीं, नेताजी मुलायम सिंह यादव ने फूलन को संसद भेजा और परिवार के सदस्य की तरह उनकी अर्थी को कंधा दिया.
फूलन देवी ने पुरुष और जाति सत्ता से प्रतिशोध का जो तरीका चुना, उसकी वैधानिकता पर बहस हो सकती है पर वे दुनिया की श्रेष्ठ विद्रोही महिला थीं, इस बात में दुनिया को शक नहीं है.
भारत के कुछ लोगों को बेशक शक है जिन्हें शक है, भारत में विचार निर्माण वही करते हैं, इसलिए भारत में फूलन देवी के महत्व को स्वीकार नहीं किया जाता.
इन्होंने सरकार से पुरजोर मांग किया है कि अन्याय और महिला शोषण के खिलाफ लड़ने वाली एक ग़रीब मल्लाह की बेटी की विश्वस्तरीय
मान्यता को स्वीकार कर फूलन देवी का अपमान करने वाले बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.