कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी के लिए तैयार किए गए ‘आरोग्य सेतु’ एप पर छिड़ा विवाद


BY-THE FIRE TEAM


  • केंद्र सरकार पर कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने डेटा चोरी करने का लगाया आरोप
  • वायरस से उपजी इस महामारी में भी लोगों की मुसीबतों का फायदा उठाना मानवीयता का नैतिक पतन कहा जायेगा

एक तरफ लोकतंत्र के मूल में जन कल्याण को प्रमुखता देने का उद्देश्य छिपा होता है तो वहीं दूसरी ओर जनता खुद यह विश्वास करती है कि उसकी चुनी हुई सरकार देश को विकास के मार्ग पर ले जाएगी.

किन्तु यह एक त्रासदी से कम नहीं है कि वर्तमान में सत्तासीन भाजपा के नेतृत्व में गठित केंद्र सरकार पर साम्प्रदायिक होने के अतिरिक्त दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों,

महिलाओं आदि के अधिकारों को दबाने का निरंतर हनन करने का दोष मढ़ा जा रहा है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तैयार किया गया ‘आरोग्य सेतु’ एप अब विवादों से घिरने लगा है.

इस विषय में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि- “आरोग्य सेतु एक परिष्कृत निगरानी प्रणाली है जो कि एक निजी संचालक के लिए आउट सोर्स का जरिया है,

और इसमें कोई संस्थागत निगरानी करने की वयवस्था भी नहीं है. ऐसे में इस एप के माध्यम से लोगों की बिना मर्जी जाने उनकी जानकारी को ट्रेस करना यथोचित नहीं है.”

माना की प्राद्यौगिकी जनता के हित में है लेकिन उनकी सहमति के बिना निजी जानकारी लेना तर्कसंगत नहीं दिखता है.

इसी तरह का आरोप एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के अतिरिक्त बंगाल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी लगाएं हैं जो कुछ न कुछ महत्व तो रखता ही है तथा यह व्यापक पड़ताल की तलाश करता नजर आता है.

आपको यहाँ बताते चलें कि विगत कुछ दिनों पूर्व जब सरकार के नुमाइंदों द्वारा भूखे लोगों को खाने का पैकेट वितरित किया जा रहा था तो उस पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी हुई थी जिस पर आलोचना भी देखने को मिला था.

Namo' food packs distributed in polling centre | UMMnewsFOOD PACKETS

 

 

 

 

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