वर्तमान में शोध और शिक्षा व्यवस्था को बीजेपी सरकार ने कई दशकों पीछे धकेल दिया है: डॉ. अजय कुमार


BY- THE FIRE TEAM


डॉ. अजय कुमार ने कहा, “मैं लगातार मोदी सरकार की शिक्षा नीति की आलोचना करता हुआ आया हूँ, वहीं आज यूजीसी के चेयरमैन प्रो डी पी सिंह जी ने भी कहा है कि शिक्षा एवं शोध क्षेत्र के लिए हमें बहुत फंड की जरूरत है।”

जब 2014 से मनमोहन सरकार थी तब शिक्षा क्षेत्र में बजट देश की कुल जीडीपी का 1% था लेकिन मोदी सरकार के बनते ही यह बजट 50% काटकर 0.5% कर दिया है। वहीं अमेरिका और चीन का शिक्षा क्षेत्र में बजट कुल जीडीपी का 2% से ज्यादा है और इजरायल और साउथ साउथ कोरिया के 4% से ज्यादा।

हमारे देश में ये अनपढ़ नेता गाय, गोबर, मेला में बजट दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं और शिक्षा के क्षेत्र में इन्होंने बजट बढ़ाने की बजाय कम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का शिक्षा बजट योगी सरकार लगभग 300 गुना कम कर दिया है।

देश मे हालात यो यह हैं कि जो गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए सरकारी फ़ेलोशिप आती थीं उन्हें पूर्ण रूप से बन्द कर दिया गया है और स्कॉलरशिप में बजट कम करके अधिकतर स्कॉलरशिप को भी बन्द कर दिया है। (UGC की साइट पर जाकर देख सकते हैं)

वहीं विदेशों शोध के नाम पर बम्पर फ़ेलोशिप दी जाती है जिससे हमारे देश के होनहार देश छोड़कर दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था और शोध क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं।

इस वजह शोक्ष क्षेत्र में पिछड़े होने के कारण हमारे देश की सरकारें टेक्नोलॉजी में पीछे होने के कारण विदेशों से तकनीकी को ऊँचें दामों में खरीदती हैं। जिसमें दूसरे देश अपने देश की आउटडेटेड चीजों और पुरानी पीढ़ी की तकनीकें यहां थोप देता है।

वहीं हम मोबाइल नेटवर्क की बात करें तक चीन अभी 7G तकनीक अपना रहा है और हम अभी 4G की बकवास स्पीड पर इतना इतरा रहे हैं।

देश के शोध संस्थानों में फंड को बंद कर दिया है जिससे वहां वैज्ञानिकों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है। क्योकि सरकार कहती है कि वह सिर्फ 70% तक अभी फंड देगी बाकी जरूरतों के लिए आप अपने शोध संस्थानों से फंड पैदा करो।

मतलब यह है कि अब देश की CSIR प्रयोगशालाएं शोध की जगह बिजिनेस करें। देश के विश्वविद्यालयों को दिए जाने वाले फंड को सरकार ने देना बंद कर दिया है। सरकार का कहना है कि अगर शिक्षण संस्थानों को फंड चाहिए तो वह सरकार से लोन के माध्यम से ले।

जिसका मतलब है कि सरकार शैक्षणिक संस्थानों को अब फंड नही लोन देगी। जो आगे चलकर संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं से मंहगी फीस के माध्यम से बसूला जाएगा। जो देश संवैधानिक शिक्षा के अधिकार को पूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। क्योकि जब फंड लोन पर मिलेगा तो शिक्षा महंगी होगी और मंहगी शिक्षा गरीब, शोषित वंचित समाज ले नही पायेगा।

तो यह बात तय है कि मोदी सरकार को शिक्षा नीति से कोई लेना देना नही है। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ पूंजीपतियों की देखभाल के लिए है।

इससे पहले भी बीजेपी सरकार जब अटल बिहारी जी के नेतृत्व में आई थी तो उन्होंने संविदा पर नौकरी लागू करके देश के युवाओं की नौकरी खत्म कर दी यहीं और पेंशन की व्यवस्था को लागू करके रिटायर्ड कर्मचारियों का भविष्य चौपट किया था।

डॉ अजय कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर (गेस्ट)
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विवि, लखनऊ

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