गोरखपुर: मिली जानकारी के मुताबिक राम करण सिंह की अध्यक्षता में श्यामा मल्ल महाविद्यालय, अमहिया परिसर में रैदास जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी संपन्न हुई.
यहाँ मुख्य अतिथि पडोही दास ने कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके किया जिन्हें कार्यक्रम के आयोजक डॉ धन्नजय यादव ने शाल ओढाकर सम्मानित किया.
जयंती के इस अवसर पर मुख्य वक्ता योगेन्द्र यादव ‘जिज्ञासु’ ने कहा कि-“संत रैदास भक्ति काल के शिरोमणि कवि थे जिन्होंने कर्म को श्रेष्ठ बताया और जातिविहीन समाज की स्थापना पर जोर दिया.”
डॉ धन्नजय यादव ने कबीर, सुर, तुलसी के योगदान पर विस्तृत विचार रखते हुए अपने संबोधन में बताया कि-“तुलसी के रामराज्य और रैदास के बेगमपुरा अवधारणा पर बात रखते हुए रैदास की कल्पना को मौलिक बताया.”
रामचन्द्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राकेश यादव ने रैदास के विचार को समता मूलक बताया जो आज के युग में अत्यंत प्रासंगिक है.
इसी महाविद्यालय के प्रबंधक भगत सिंह ने रैदास के आचरण को अनुकरणीय बताते हुए उसे अपनाने जोर दिया. जबकि एक बड़े चिंतक पुरुषोत्तम त्रिपाठी ने रैदास के विचार को जीवन और जगत के लिए जरूरी बताया.
मुख्य अतिथि ने वाद्य यंत्र पर रैदास के भजन गा कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया, अन्य वक्ताओं में शिक्षक वीरेंद्र यादव, अखिलेश त्रिपाठी ने भी अपने उल्लेखनीय विचार रखे.
सभा में तमाम लोगों के अलावा विद्यासागर मल्ल, भास्कर मल्ल फेकू और विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता राम करण सिंह और संचालन डॉ गरिमा ने किया.