कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने राजस्थान में नाकाम की बीजेपी की साज़िश

महीने भर से जारी राजस्थान सरकार गिराने की बीजेपी की साजिश को कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांद्दी वाड्रा ने दस अगस्त को एक ही झटके में नाकाम कर दिया.

प्रियंका ने गहलौत से नाराज चल रहे सचिन पायलट की राहुल गांद्दी के साथ लम्बी मीटिंग कराई तो पार्टी सदर सोनिया गांद्दी से फोन पर बात करा कर यह तय करा दिया कि सचिन को पार्टी में पूरी इज्जत और उनकी शख्सियत के मुताबिक अहमियत दी जाएगी.

पार्टी सदर सोनिया गांद्दी ने सचिन की शिकायतों पर गौर करके उन्हें हल करने के लिए अहमद पटेल, प्रियंका गांद्दी वाड्रा और के सी वेणुगोपाल तीन मेम्बरान की कमेटी बनाई तो देर शाम पार्टी के वार रूम में इस कमेटी की लम्बी मीटिंग भी हो गई.

सचिन ने कहा कि सवाल किसी ओहदे का नहीं है, पार्टी अगर किसी को कोई ओहदा देती है तो वापस भी ले सकती है, सवाल तो सम्मान का है.

जिस तरह प्रियंका व राहुल गांद्दी ने अपनाइयत के साथ उनसे बातें कीं उनकी शिकायतें सुनी और सोनिया गांद्दी ने भी अपना आशीर्वाद दिया उससे उन्हें इस बात का पुख्ता यकीन हो गया है कि पार्टी उनका एहतराम कम नहीं होने देगी और न ही किसी मामले में उनकी तौहीन ही होगी.

इतना तो तय माना जा रहा है कि अशोक गहलौत ही फिलहाल राजस्थान के चीफ मिनिस्टर बने रहेंगे. सचिन पायलट की अब डिप्टी चीफ मिनिस्टर और पार्टी के प्रदेश सदर के ओहदे पर वापसी नहीं होगी. उन्हें आल इंडिया कांग्रेस कमेटी में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है.

सचिन को पहले मरहले में कामयाबी मिलती भी दिखी है। उन्हें गहलौत के साथ-साथ आल इंडिया कांग्रेस कमेटी में राजस्थान के इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी अविनाश पाण्डेय से भी काफी शिकायतें थीं.

प्रियंका गांद्दी वाड्रा की रणनीति कामयाब हुई गहलौत सरकार का बोहरान (संकट) खत्म हुआ तो बीजेपी के वह लीडरान और ज्यादा बौखला से गए जिन्हें उम्मीद थी कि सचिन की मदद के अलावा कांग्रेस में पिछले साल शामिल हुए बीएसपी के सभी छः मेम्बरान असम्बली के कांग्रेस में विलय को अदालत से खारिज करा कर वह गहलौत सरकार गिरवा देंगे.

मतलब यह कि बीजेपी ने जो आग कांग्रेस में लगाई थी उसका असर कांग्रेस पर तो पड़ा नहीं उस आग की तपिश में बीजेपी खुद ही आ गई है. यह तपिश क्या रूख अख्तियार करेगी अभी कुछ कहना मुश्किल है.

सचिन और उनके साथ गए सभी अट्ठारह मेम्बरान असम्बली वापस आए तो गहलौत ग्रुप के मेम्बरान असम्बली ने उनके खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए नारेबाजी की और कहा कि इन लोगां ने सरकार गिराने की साजिश की इसलिए इन्हें सजा मिलनी चाहिए.

लेकिन गहलौत और पार्टी के कुछ सीनियर मेम्बरान ने उन्हें यह कहकर खामोश कराया कि सब अपने हैं, गलतियां सबसे होती हैं. वजीर-ए-आला अशोक गहलौत ने कहा कि जो हुआ सो हुआ, अब हम सबको ‘भूलो और माफ करो’ के रास्ते पर चलना चाहिए.

एक दूसरे के खिलाफ नफरत और द्वेषभावना का जज्बा रखकर आगे नहीं बढा जा सकता, सचिन पायलेट ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होने छः साल तक प्रदेश के कोने-कोने में मेहनत करके पार्टी को खड़ा किया जिन लोगों ने पार्टी खड़ी करने के काम में लाठी-डंडे खाए, वह सम्मान के हकदार तो हैं ही.

Why it's unfair to blame Ashok Gehlot or Congress for Sachin ...

हमारा एतराज उन्हीं को एहतराम दिलाने के लिए था, इस सवाल पर कि गहलौत ने उन्हें निकम्मा, द्दोकेबाज और गद्दार तक कहा, अब वह उन्हीं गहलौत के साथ पार्टी में कैसे रहेंगे. इस पर सचिन का जवाब था कि यह जरूरी नहीं है कि सख्त बातों का जवाब सख्त बातों से या गाली का जवाब गाली से दिया जाए.

हमारी परवरिश जिस अंदाज से हुई है हम उम्र में अपने से बड़े लोगों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते. एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने जब यह सवाल किया कि आपमें इतनी सहनशक्ति कैसे है?

इसपर उन्होने कहा यह हमारे माता-पिता का दिया हुआ है, इसमें हमारा कुछ नहीं है. उन्होने कहा कि उन्हें पार्टी आला कमान यानि सोनिया गांद्दी, राहुल गांद्दी और प्रियंका गांद्दी से पूरी इज्जत, एहतराम और मोहब्बत मिली इसके लिए वह उनके शुक्रगुजार है.

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