मुगल शासक शाहजहां के द्वारा बनवाए गए लाल किला जो कि आज हमारे देश की धरोहर है, उस पर अभी भी मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में विवाद चल रहा है.
इस संबंध में याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम ने लाल किला पर अपना अधिकार जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया और दावा किया कि-
'The Red Fort should be handed over to us..', the petition of the woman in the Delhi High Court" https://t.co/u0KD5h0WEd #delhihighcourt #redfort #lalkila #mughaldynasty
— News track English (@newstrack_eng) December 21, 2021
“वह मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के प्रपौत्र की विधवा हैं. इसलिए वह कानूनी तौर पर वारिस होने के कारण लाल किला पर अपना मालिकाना हक रखती हैं.”
ऐसे में अदालत को चाहिए कि इस संपत्ति का हक सरकार उन्हें दे. हालांकि उनकी याचिका को अदालत ने ख़ारिज कर दिया है.
याचिका को रद्द करने वाली न्यायाधीश रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि डेढ़ सौ से अधिक वर्षों के बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है जिसका कोई औचित्य नहीं बनता है.
दरअसल याचिकाकर्ता ने अपने तथ्यों को पुख्ता करते हुए बताया कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल शासक बहादुर शाह जफ़र से
मनमाने तरीके के द्वारा जबरदस्ती इसे छीन लिया था, 1857 में ब्रिटिशर्स का यह कृत्य बेहद अन्याय पूर्ण था.
लाल किला से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
दिल्ली स्थित लाल किला भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की खूबसूरत इमारतों में से एक है जिसकी नींव मुगल शासन बादशाह शाहजहां ने
अपने अग्रणी वास्तुकार उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद के द्वारा 1638 में रखी थी जो करीब 10 वर्षों से लगातार काम करने के बाद 1648 में बनकर तैयार हुआ.
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह इमारत अपनी भव्यता के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है. इसमें दो मुख्य दरवाजे हैं-
पहला दिल्ली गेट जिससे आम नागरिकों को आने की अनुमति है जबकि दूसरा लाहौरी गेट कहलाता है जिसके माध्यम से केवल वीआईपी ही इस किले में प्रवेश करते हैं.