लव जिहाद के नाम पर दलितों-आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है योगी सरकार: रिहाई मंच

एक सशक्त जागरूकता फैलाने के रूप में लोगों की आवाज बनने वाले मंच रिहाई ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन के खिलाफ पारित अध्यादेश 2020 लाने को संविधान विरोधी बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना किया है.

‘रिहाई मंच’ के महासचिव राजीव यादव ने बताया है कि यह अध्यादेश संविधान द्वारा प्रदत अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान में स्पष्ट बताया गया है कि सरकार का कोई धर्म नहीं होना चाहिए और वह किसी विशेष धर्म को प्रोत्साहित भी नहीं कर सकती.

किंतु आज स्थिति यह हो गई है कि संविधान की शपथ लेकर सत्ता में बैठे राजनेता खुद ही संविधान का माहौल उड़ा रहा है. हाथरस बलात्कार घटना के बाद सरकारी मशीनरी द्वारा इंसाफ के रास्ते में रोड़ा अटकाने से

बाल्मीकि समाज के लोगों द्वारा बौद्ध धर्म अपना लेने के बाद से ही इन को परेशान किया जा रहा था. इस अध्यादेश के माध्यम से इस तरह के धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए राजीव यादव ने अध्यादेश पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अध्यादेश में जहां धर्म परिवर्तन कराने वाले के लिए 5 साल की सजा और ₹15000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

वहीं अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 साल की सजा और ₹25000 जुर्माना लगाने का क्या और औचित्य हो सकता है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने चुनाव अभियान में लगातार लव जिहाद का मुद्दा उठाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं.

बनाए गए कानून में सजाओ को लेकर भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने की सीधी तस्वीर दिखाई दे रहे हैं जो स्पष्ट करता है कि इस अध्यादेश का वास्तविक उद्देश्य समाज के दलित और वंचित वर्ग

जो असमानता और भेदभाव पूर्ण रवैया के कारण हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध ध्यान धारण करने के लिए बाध्य हो रहे हैं वह ना हो. इसी प्रकार प्रावधान में यह भी बताया गया है कि धर्मांतरण से पहले

प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित करने, उनको संतुष्ट होने और उनसे धर्मांतरण की अनुमति मिलने की शर्त भी मौलिक अधिकारों के खिलाफ ही है.

गैर जमानती अपराध की सूची में लव जिहाद को रखने के कारण तथा अभियोजन के बजाय खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी पर डाली गई है जो क्रूर और गैर संवैधानिक कहा जा सकता है.

 

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