BY- THE FIRE TEAM
सीआरपीएफ कैम्प रामपुर पर 31 दिसंबर 2007 और 1 जनवरी 2008 के बीच में रात में हुई घटना पर रिहाई मंच ने दुःख और संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि घटना दुःखद होते हुए शर्मनाक है।
रिहाई मंच ने इस घटना की जांच स्वयं अपने स्तर पर की थी और घटना स्थल पर मौजूद कुछ गवाहों से उनका बयान भी लिया था जिससे लगता था कि उक्त घटना आतंकवादी घटना नहीं थी।
घटना के बाद से जिस तरह पुलिस वालों ने गिरफ्तारियों का सिलसिला आरम्भ किया उससे लगता था कि सारी गिरफ्तारियां फर्जी और विवेचना सही दिशा में नहीं थी।
फहीम अरशद सहित अनेक अभियुक्तों की गिरफ्तारी वास्तव में जहां से की गई वहां से नहीं दिखाई गई और न ही घटना स्थल के किसी ऐसे प्रत्यक्षदर्शी को साक्षी के तौर पर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जो कह सकता कि उसने घटना स्थल पर किसी अभियुक्त को देखा।
मृतक रिक्शा चालक कहां से और किस सवारी को लेकर आया था इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। घटना स्थल पर उपस्थित किसी दुकानदार ने भी अभियुक्तों में से किसी को देखा जाना नहीं बताया है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि लचर विवेचना और पैरवी के बावजूद कुछ अभियुक्तों को दोष सिद्ध पाया गया जबकि दो अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया तथा फहीम अरशद अंसारी की संलिप्तता भी घटना में नहीं पाई गई।
कुलमिलाकर निर्णय को चुनौती देना आवश्यक है और आशा है कि अपीलीय न्यायालय द्वारा सभी अभियुक्त बरी कर दिए जाएंगे।
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