एटीएस सेंटर के बहाने देवबंद की छवि बिगाड़ना योगी सरकार की मंशा-रिहाई मंच

रिहाई मंच ने देवबंद में एटीएस की इकाई कायम करने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को दुर्भावनापूर्ण और मुसलमानों को आतंकित कर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाला बताया.

रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का यह ट्वीट सरकार की मंशा को समझने के लिए काफी है जिसमें कहा गया है कि

“तालिबान की बर्बरता के बीच यह यूपी का नया नमूना है. योगी जी ने देवबंद में कमांडो प्रशिक्षण केंद्र खोलने का निर्णय लिया है” जो लोग ‘आतंकवाद को सुरक्षा प्रदान करते हैं’ यह उनके ‘दुख का कारण है.”

उन्होंने कहा कि श्री त्रिपाठी के उक्त ट्वीट से संदेह पैदा होना स्वभाविक है कि अफग़ानिस्तान में तालिबान संकट को भारत के मुसलमानों से जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव के मद्देनज़र साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति तैयार की जा रही है.

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था के लिए उचित कदम उठाना सरकार का दायित्व है लेकिन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार और एडीजी (कानून व्यवस्था) का बयान एटीएस के नए केंद्र खोलने की मंशा को लेकर आपस में मेल नहीं खाते.

उन्होंने कहा कि जिन छह स्थानों पर एटीएस की इकाई कायम करने की घोषणा की गई है उनमें से अधिकांश मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाले क्षेत्र हैं और उन क्षेत्रों को “संवेदनशील और संचालन की दृष्टि से महत्वपूर्ण”

बताते हुए एडीजी ने देवबंद को हर एतबार से रणनीतिक स्थान बताते हुए कहा कि “देवबंद कोई ऐसी जगह नहीं जहां कोई प्रवेश नहीं कर सकता.”

राजीव यादव ने कहा कि देवबंद साम्प्रदायिक शक्तियों के आंखों में पहले भी खटकता रहा है और वहां से कई छात्रों को आतंकवाद के आरोप में फर्जी तरीके से पहले भी फंसाया जा चुका है.

उन्होंने सज्जादुर्रहमान का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे उत्तर प्रदेश कचहरी धमाकों के आरोप में करीब ग्यारह साल तक सलाखों के पीछे कैद रखा गया हालांकि उसे अदालत द्वारा अंत में बेदाग़ बरी किया गया.

मंच महासचिव ने कहा कि सरकार में बैठै कई लोग बेलगाम हैं और प्रदेश में खुलेआम एक वर्ग विशेष के खिलाफ जनता को हिंसा के लिए वरगला रहे हैं लेकिन सरकारी तंत्र मौन साधे हुए है.

उन्होंने विठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा के वायरल वीडियो का हवाला दिया जिसमें वह मुसलमानों को ताजिया न दफन करने देने के लिए अपने समर्थकों से उठ

खड़े होने का आह्वान करते हुए देखे और सुने जा सकते हैं, और उसे बलपूर्वक रोकने के लिए विधान सभा की कार्रवाई छोड़कर घटना स्थल पर मौजूद रहने की बात करते हैं.

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