महामारी से लड़ने के बजाए सरकारी संरक्षण में कहीं मस्जिद विंध्वंसीकरण तो कहीं माॅब लिंचिग-रिहाई मंच

(राजीव यादव महासचिव, रिहाई मंच की कलम से)

  • बाराबंकी के बाद खतौली में मस्जिद ढहाए जाने की घटना सुनियोजित
  • पुलिसिया उत्पीड़न ने ध्वस्त की सूबे में कानून व्यवस्था
  • रिहाई मंच सूबे में सत्ता संरक्षण में हो रहे दमन-उत्पीड़न की जांच और कानूनी कार्रवाई के लिए पीड़ितों से करेगा मुलाकात

लखनऊ 28 मई, 2021: रिहाई मंच ने बाराबंकी के बाद खतौली में मस्जिद ढहाए जाने के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि-

“देश की जनता कोरोना से मर रही है और योगी-मोदी सांप्रदायिक राजनीति और चुनावी पैतरेबाजी कर रहे हैं. कोरोना महामारी से लड़ने के बजाए अपनी

नाकामियों को छिपाने और ध्रुवीकरण करने के लिए कभी मस्जिद को ढहाया जा रहा है तो कभी मुस्लिमों को सांप्रदायिक हमले का शिकार बनाया जा रहा है.”

मंच का दल सूबे में सत्ता संरक्षण में हो रहे दमन-उत्पीड़न की जांच और कानूनी कार्रवाई के लिए पीड़ितों से मुलाकात करेगा.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 31 मई 2021 तक हाईकोर्ट द्वारा रोक के बावजूद बाराबंकी के बाद मुजफ्फरनगर के खतौली में प्रशासन ने मस्जिद को निशाना बनाया, यह खुलेआम कोर्ट की अवमानना है.

जबकि मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उन्नाव के बांगरमऊ में पुलिस पर 18 साल के सब्जी विक्रेता फैसल को पीट-पीटकर मार डालने का आरोप है.

मुरादाबाद में मीट विक्रेता शाकिर को भीड़ द्वारा लाठी-डंडों से पिटाई, बरेली में हाफिज इशहाक की गोली मारकर हत्या, चित्रकूट की जेल में मेराजुद्दीन, मुकीम और अंशु दीक्षित की हत्या,

फिलीस्तीन के समर्थन में झंडा लगाने की अपील के नाम पर आजमगढ़ के यासिर अख्तर की गिरफ्तारी जैसी घटनाओं का सिलसिला साफ करती है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत हो रही हैं.

जालौन के शहर कोतवाली क्षेत्र में एक युवक की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें छह-सात युवक न सिर्फ उसे लात-घूसों से पीट रहे हैं बल्कि एक हमलावर ने उस पर पेशाब भी किया.

बरेली के थाना वारादरी के जोगी नवादा में मास्क न पहनने पर एक युवक के हाथ-पैर में कीलें ठोकने का आरोप पुलिस पर लगा है.

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रायबरेली में पांच युवकों को रात भर चौकी में पीटने और मऊ के थाना मोहम्दाबाद में युवक को पीटते हुए थाने ले जाने का आरोप पुलिस पर लगा है.

रिहाई मंच ने कहा कि कोरोना में हमने लोगों को आक्सीजन, वेंटीलेटर, दवा, अस्पताल की कमी की वजह से दम तोड़ते देखा वहीं, योगी-मोदी का वाराणसी मॉडल बताकर फिर से सरकारी नाकामी को छिपाने की कोशिश की जा रही है.

यह बताने की बेशर्म कोशिश है कि नदियों के किनारे जो शव दफनाए गए, वह रीति रिवाज का हिस्सा है. इसी कड़ी में योगी जी को यह भी बताना चाहिए कि

अगर वह रीति रिवाज है तो उसके ऊपर के पीतांबर को हटाने की कौन सी परंपरा है. सच्चाई तो यह है कि नदियों के किनारे पुलिस द्वारा भी शवों को दफनाने की खबरें आईं हैं.

जब मीडिया में तस्वीरें आईं कि कैसे लाशें गंगा में उतरा रही हैं, दफनाई गई हैं तब जाकर सरकार जागी. इससे आम आदमी तक जान गया गया है कि सरकार को उसके स्वास्थ्य को लेकर कोई चिंता नहीं है.

योगी आदित्यनाथ के झांसी दौरे के समय जब डाक्टरों ने मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था बेहतर करने के संदर्भ में उनसे मिलना चाहा तो उन्हें पुलिस ने डिटेन कर लिया.

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डाक्टरों ने मांग पत्र में कहा कि प्रायः देखा जाता है कि जब कोई प्रशासनिक दौरा होता है तभी दवाइयां प्रदान कराई जाती हैं, ऐसे में मेडिकल कालेज में दवाईयों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए.

इससे साफ होता है कि इस विकट परिस्थिति में भी महामारी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है.

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