मिली जानकारी के मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर पिछले दिनों जारी चर्चा के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने असम के गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि-
वर्ष 1930 से ही देश में मुस्लिम आबादी को बढ़ाने की कोशिशें चल रही हैं क्योंकि इनका मूल उद्देश्य था भारत को पाकिस्तान बनाना. यह सब काम पंजाब, सिंध, बंगाल और आसपास के क्षेत्रों के लिए किया गया था जिसमें उनको कुछ हद तक सफलता भी मिली.
1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिमों की आबादी बढ़ाने के प्रयास हुए : मोहन भागवत pic.twitter.com/6OOsyFNguk
— NDTV Videos (@ndtvvideos) July 21, 2021
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मोहन भागवत ने बताया कि पाकिस्तान के साथ ही अधूरी रह गई क्योंकि पंजाब, बंगाल का आधा हिस्सा ही उसे मिला जबकि असम मिल ही नहीं सका.
आरएसएस प्रमुख ने नागरिकता संशोधन कानून पर टिप्पणी किया और बताया कि इस कानून का किसी भी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता से कोई लेना देना नहीं है. ऐसे में भारतीय मुस्लिमों को इससे कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है.
भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से ओतप्रोत है और इन्हीं विचारों के इर्द-गिर्द अपनी नीतियां और नियम बनाता है. भारत ने दुनिया को सुख और शांति देने के लिए सदैव प्रयास किया है.
मोहन भागवत ने यह भी कहा कि हम अखंड भारत के विषय में बात करते हैं तो हमारा उद्देश्य उसे शक्ति के साथ प्राप्त करना नहीं है बल्कि धर्म नीति के माध्यम से उसे एकजुट करना है,
यही मानवता है और इसे हिंदू धर्म कहा जाता है. आपको यहां बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के 2021 में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मोहन भागवत ने असम में दौरा किया है.
असम के अतिरिक्त विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल, मणिपुर और त्रिपुरा में भी मोहन भागवत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे.