(रूस्तमपुर, आजाद चौक, गोरखपुर)
न कभी कुछ मांगा, ना कभी कुछ चाहा. रिश्ता ना टूट जाए कहीं, तो खुद को बदल डाला.
आदतों को बदला, अरमानों को बदला, सागर में एक बूंदें बन, अपने अस्तित्व को बदल डाला.
ऐसी त्याग की मूर्ति (नारी) तुझे शत-शत नमन…
‘अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस’ की पूर्व संध्या पर मेरीगोल्ड एजुकेशन सोसायटी द्वारा मात्र शक्तियों को नमन किया गया.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि विजय प्रभा मिश्रा द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा का माल्यार्पण किया गया तथा सरस्वती वंदना किया गया.
आपने बताया कि आज आवश्यकता इस बात की है कि समाज में महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए.
महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों, मां के बिना हम अपने जीवन की उम्मीद नहीं कर सकते.
दुनिया में मां एकमात्र ऐसी इंसान होती है जो हमें कभी अकेला नहीं छोड़ती. हम लोग बिना अपनी मां के प्यार और देखभाल के नहीं रह सकते.
वह हमारा बहुत ध्यान रखती है, मां बहुत खुश होती है जब हम लोग हंसते हैं तथा वह बहुत दुखित हो जाती है, जब हम लोग रोते हैं,
यह पर्व एक मां को सम्मान देने के लिए मेरीगोल्ड फाउंडेशन के द्वारा जो कार्यक्रम रखा गया उसके लिए मैं उनकी प्रशंसा करती हूं.
उक्त अवसर पर अंजू फाउंडेशन की सोनिका ने बताया कि समाज में महिलाओं को जागरूक करने के लिए इस तरह की संस्थाओं का होना बड़ा जरूरी है.
अनेकों औरतें अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखती हैं. जब तक घर की मुखिया जिसके हाथ में घर की बागडोर है.
वह स्वस्थ नहीं रहेगी तब तक उसका परिवार स्वस्थ नहीं रहेगा. हमें संकीर्ण विचारधारा से उठ करके काम करना होगा.
मेरीगोल्ड एजुकेशनल सोसाइटी की कोषाध्यक्ष आशा शुक्ला ने आए हुए सभी सम्मानित महिलाओं एवं बच्चों को धन्यवाद दिया.
कार्यक्रम का संचालन मेरीगोल्ड फाउंडेशन की जनक प्रतिमा पांडेय ने किया. आपने बताया कि
हमारी यह संस्था समाज में निर्धन एवं बेसहारा बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करती हैं. समय-समय पर सामाजिक जागरूकता जैसे कार्यक्रम संपन्न कराती है.
इन्होंने अपना श्रेय अपने माता-पिता को दिया जिन्होंने हमें इस योग्य बनाया कि हम समाज में कदम से कदम मिलाकर चल सके.
इस अवसर पर सरोज शाही, अर्चना पांडेय, सरोज गुप्ता, खुशबू शाही, रीना गुप्ता, अथर्व गुप्ता, पूजा शुक्ल,
तनुष शुक्ल, हरीशचंद्र शुक्ल, प्रियांश, देवांश, आराध्या, हिमांशी, आरवी, तनु आदि लोग उपस्थित थे.