‘सबके साथ सेंवई’, मोहब्बत और भरोसा तोड़ कर देश का निर्माण मुमकिन नहीं- डा. कमर जहां


BY- THE FIRE TEAM


सेंवई की मिठास और स्वरों की बरसात के साथ सबने माना कि इंसानियत, जम्हूरियत और साझी विरासत ख़तरे में है, चौतरफ़ा हमलों की जद में है.

एक स्वर में कहा कि इस चुनौती से भिड़ा जाएगा, इन महान मूल्यों का झंडा बुलंद रखा जाएगा, हर हाल में झुकने नहीं दिया जाएगा.

यह मौक़ा था- सृजन पीठ, इंसानी बिरादरी और उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि द्वारा गांधी भवन में आयोजित ʻसबके साथ सेंवईʼ नाम से आयोजित अनूठे कार्यक्रम का.

ʻसबके साथ सेंवईʼ की शुरूआत इस मौक़े पर जारी परचे को पढ़े जाने से हुई. कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएचयू के उर्दू विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रोफ़ेसर डा. कमर जहां ने की.

साथ में इंडियन वर्कर्स कौंसिल के ओपी सिन्हा और दस्तक की संपादिका सीमा आज़ाद ने मंच साझा किया. मशहूर गायिका सुनीता झींगरन और अलबेले गायक शन्ने नक़वी की मौजूदगी ने कार्यक्रम को सुरीला बनाने का काम किया.

नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि जातीय, धार्मिक और राजनैतिक लाभ के लिए लोगों के बीच गहरे तक मौजूद प्रेम और भरोसे को तोड़ा जा रहा है. यह देश की एकता और बहुलता के लिए बड़ा ख़तरा है.

माब लिंचिग की सिलसिलेवार घटनाएं प्रायोजित कार्यक्रम है. इसका विरोध कागज़ी या दिखावटी नहीं होना चाहिए बल्कि पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते हुए ज़रूरत पड़े तो घायल होने को भी तैयार रहना चाहिए.

ओपी सिन्हा ने कहा कि देश की बिगड़ती तस्वीर को बदलने के लिए व्यापक एकजुटता समय की मांग है. इसके लिए राजनैतिक-आर्थिक सवालों पर न्यूनतम कार्यक्रम पहली शर्त है.

सीमा आज़ाद ने कहा कि अगर बोलने पर पाबंदी लगे तो समझ लेना चाहिए कि लोकतंत्र निशाने पर है. अर्बन नक्सल का तमगा थमा कर बुद्धिजीवियों और संस्कृतिकर्मियों की हो रही गिरफ़्तारियां शासकों के डर को उजागर करती है.

प्रोफ़ेसर डा. कमर जहां ने कहा कि विभाजन के बाद मुसलमानों ने बड़ी तादात में भारत को चुना. इतने साल बाद अब उन्हें बाबर की औलाद बताया जा रहा है और उनसे पाकिस्तान जाने को कहा जा रहा है. उनके ख़िलाफ़ नफ़रत बोई जा रही है.

यह सरासर नाइंसाफ़ी है, उनकी वतनपरस्ती की बेइज्ज़ती है. हुक्मरानों को समझना चाहिए कि मोहब्बत तोड़ कर देश का निर्माण नहीं किया जा सकता.

कार्यक्रम में जानेमाने अर्थशास्त्री डा. हिरण्यमय धर, बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की वरिष्ठ पैरोकार नीति सक्सेना, सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ़ बतारवी, बाराबंकी से आये ग्राम प्रधान रमाशंकर मौर्य ने भी टूट रहे आपसी रिश्तों की गरमाहट बनाए रखने के लिए नियमित संवाद की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

कार्यक्रम में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के लालबहादुर राय, चर्चित मूर्तिकार धर्मेंद्र कुमार, कला शिक्षक अंगद वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ मिश्र और अशफ़ाक़ अहमद, कलम विचार मंच के प्रतुल जोशी, सद्भाव संगम के दीपक माथुर, सामाजिक कार्यकर्ता मसीहुद्दीन संजरी, शरद पटेल, गुरूजीत कौर, मोहम्मद शकील क़ुरैशी, राबिन वर्मा, सचेंद्र कुमार यादव, मनोज कुमार सिंह, आशीष गुप्ता, गुफ़रान चौधरी, वीरेंद्र गुप्ता आदि शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन इंसानी बिरादरी के ख़िदमतगार सृजनयोगी आदियोग ने किया.


सृजनयोगी आदियोग

इंसानी बिरादरी

9415011487, 6307029195


[mks_social icon=”facebook” size=”35″ style=”rounded” url=”http://www.facebook.com/thefire.info/” target=”_blank”] Like Our Page On Facebook Click Here


 

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!