(शक्ति कुमार की रिपोर्ट)
कुशीनगर: थाना तरया सुजान क्षेत्र के अंतर्गत सलेमगढ में महत्वपूर्ण त्योहार छठ पूजा में हालांकि एक पखवाड़े का समय शेष है लेकिन अभी से ही इसकी तैयारी शुरू हो गई है.
लोक आस्था के इस महापर्व के प्रति लोगों का लगाव जितना ही गहरा है उतना ही यह पर्व सामाजिक समरसता को भी मजबूत बनाता है.
हम बात कर रहे है छठ पूजा में प्रयोग होने वाले सूप, दौरा तथा महावर जैसे सामानों की. बताते चलें कि बांस से बनने वाला सूप-दौरे का निर्माण दलित समाज के लोगों के द्वारा किया जाता है
तो महावर अल्पसंख्यक बिरादरी के लोग बनाते हैं. लेकिन सभी घरों में छठ पूजा को लेकर इन सामानों की उपयोगिता होती है.
समाज में बढ़ रहे जातीय व सांप्रदायिक विद्वेश को रोकने में पर्व त्योहारों की भूमिका शुरू से ही रही है, छठ पर्व इसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
इस बार भी छठ पूजा को लेकर स्टेशन रोड स्थित दलित बस्ती में सूप, दौरा का निर्माण शुरू हो गया है. बस्ती के चनेशवर बसफोर, मुकेश बसफोर आदि का कहना है कि
छठ में सूप, दौरे की अधिक मांग तथा इसके निर्माण में लगने वाले श्रम व समय को देखते हुए इसका निर्माण शुरू कर दिया गया है. बस्ती के करीब एक दर्जन परिवार के लोगों द्वारा सूप, दौरा बनाया जा रहा है.
कच्चे बांस को पतले-पतले टुकड़ों में काट तथा टुकड़ों को एक-दूसरे से जोड़ते हुए उसे सूप, दौरा, पंखा आदि के शक्ल देने तथा रंग-रोगन कर
चटक बनाने में दलित बस्ती के लोगों की कलाकारी को सलेमगढ के ग्राम प्रधान चंपा देवी उनके सह प्रतिनिधि राजकुमार साह ने काबिले तारीफ की है.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी खासियत तो यह है कि छठ पर्व में काम आने वाला सूप-दौरा तथा महावर सामाजिक समरसता की डोर को मजबूत करता है.