आधुनिकता की दौड़ में तेजी से भाग रहे सऊदी अरब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब एक साथ एक ही दिन में
81 अपराधियों को सामूहिक तौर पर मौत की सजा दी गई है. इस विषय में सऊदी अरब की सरकार ने मीडिया से जानकारी साझा किया है.
आपको बता दें कि इसके पहले जनवरी 1980 में मक्का की बड़ी मस्जिद से संबंधित बंधक मामले में दोषी 63 लोगों को मौत की सजा दी गई थी.
तत्पश्चात जनवरी 1916 में एक शिया धर्मगुरु सहित 45 लोगों को, 2019 में 37 लोगों का सिर एक साथ कलम कर दिया गया था.
सऊदी अरब ने एक दिन में 81 को दे दी फाँसी: ISIS और अलकायदा से जुड़े आतंकी भी शामिल, कई बलात्कारियों को भी सुलाया मौत की नींद#SaudiArab #execution #Terroristshttps://t.co/Zk6NIeOnom
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) March 12, 2022
सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहां इस्लामिक कानून का राज स्थापित है, बावजूद इसके इस देश ने आधुनिक जीवन शैली को अपनाने में कहीं पर भी दकियानूसी नहीं दिखाया है.
आधुनिकता का ही नतीजा है कि अब यहां की महिलाएं ड्राइविंग करने का अधिकार रखती हैं. ध्यान देने वाला विषय यह है कि
जिन लोगों को सऊदी अरब ने मृत्युदंड दिया है उनमें अधिकतर महिलाओं, बच्चों तथा निर्दोष लोगों की हत्या के आरोपी थे.
इनमें कुछ आतंकी संगठन अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के भी सदस्य थे जबकि कुछ यमन के हुती विद्रोहियों के साथ ताल्लुक रखते थे.
हुती विद्रोहियों ने ही जनवरी में सऊदी अरब के ऑयल प्लांट में ड्रोन अटैक किया था. इन दोषियों में 73 सऊदी अरब के तथा 7 यमन के नागरिक थे.
हालांकि इतने बड़े पैमाने पर मृत्युदंड की सजा देने को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी अरब की तीखी आलोचना किया है.
लंदन का मानव अधिकार संगठन ‘रिप्रिव’ की उपनिदेशक सोरया बाउवेंस ने कहा कि-“दुनिया को पता चल जाना चाहिए कि जब मोहम्मद बिन सलमान ने सुधार का वादा किया था तो रक्तपात होना तय है.”
वहीं ‘यूरोपियन सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स’ के निदेशक अली अदुबासी ने आरोप लगाया है कि
जिन लोगों को मृत्युदंड दिया गया उन्हें पहले तो प्रताड़ित किया गया और फिर गुप्त तरीके से मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी पर लटका दिया गया.