BY- THE FIRE TEAM
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने मैं भी चौकीदार अभियान शुरू किया और देखते ही देखते बहुत से लोगों ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट में अपने नाम के आगे चौकीदार शब्द भी जोड़ लिया। लेकिन यहां बात असल के चौकीदारों की है।
भले ही हमारे नेताओं ने ओर उन्हें सपोर्ट करने वालों ने अपने नाम के आगे चौकिदार लगा लिया हो लेकिन सच्चे चौकिदार की जिंदगी कैसे गुजर रही है उसका इन लोगों को कोई अंदाज भी नहीं है। भाजपा में तो चुनाव के लिए अपना नारा बुलंद कर लिया पर इन चौकीदारों की बिल्कुल भी परवाह नहीं कि अभी तक।
झारखंड में 10 हजार असली चौकीदारों की होली बेरंग और भविष्य अंधियारे में जाता नजर आ रहा है। 24 जिलों के एक थाने के अंतर्गत आने वाले 10 गांवों में चौकीदारी करने वाले इन चौकीदारों को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली है। 20,000 है इन चौकीदारों का वेतन।
अपने वरिष्ठ दफादारों को रिपोर्ट करने वाले ये चौकीदार ब्रिटिश काल के दौरान 1870 में ग्राम चौकीदार अधिनियम लागू होने के बाद से ही इस भारतीय पुलिस व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं। झारखंड सरकार ने इनके लिए अलग काडर ही बनाया हुआ है। इन चौकीदारों के अलावा लगभग 200 दफादार भी हैं जिनकी सैलरी 22 हजार है, और इन सबको पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है।
मंगलवार को रातू पुलिस स्टेशन पर सुबह 11 बजे से 20 चौकीदारों ने शानिपूर्ण प्रदर्शन किया। झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के अध्यक्ष कृष्णा दयाल सिंह कहते हैं कि हर तरफ देश में लोग खुद को चौकीदार बता रहे हैं ऐसे में इतने चौकीदारों को वेतन नहीं मिला है।
कृष्ण दयाल सिंह का कहना है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा मैं भी चौकिदार हूं तब ऐसा लग था कि सच में कोई आया है जो अब हम जैसे चौकीदारों की बात सुनेगा ओर हमसे बात करेगा। पर ऐसा कुछ भी नही हुआ और हमारा वेतन पहले की तरह ही देर से मिलता रहा। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास और चीफ सेक्रेटरी सुधीर त्रिपाठी और अन्य अधिकारियों की सैलरी एक भी दिन लेट होती है ?
गृह मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक 13 मार्च को 15 जिलों के चौकीदार और दफादारों के वेतन के लिए राशि आवंटित कर दी गई थी। हालांकि 9 राज्यों में उनकी तनख्वाह को लेकर को बात नहीं हुई।
सिंह कहते हैं कि जिस जिले में वेतन के लिए राशि आवंटित कर दी गई है वहां भी उनको सैलरी 21 मार्च यानी होली से पहले नहीं मिलेगी क्योंकि कागजी लिखा पढ़ी में वक्त लगता है। ऐसे में हमें मजबूरन दूसरों से उधार मांगकर काम चलाना पड़ेगा।
अन्य चौकीदारों से बात करके पता चला कि उनकी नौकरी पुलिस की मदद और जानकारी एकत्रित करने की होती है लेकिन अब हमें घरों पर मेहमानों के स्वागत में लगा दिया जाता है। हाल के दिनों में इस नौकरी की इज्जत भी कम हो गई है।