कहते हैं जहां चाह, वहां राह है. यह बात विगत 1 वर्ष से ऊपर चल रहे किसान आंदोलन के संबंध में अक्षरश: सत्य बैठती है.
केंद्र सरकार के द्वारा पारित किए गए कृषि कानून को लेकर हो रहे विरोध को किसान आंदोलन में तीन काले कृषि कानून घोषित करके अंततः सरकार को यह विवश कर दिया कि वह इसे वापस ले.
इस विषय में किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने अपने कार्यक्रम को समाप्त करते हुए बताया कि
“आने वाले 11 दिसंबर को वे सभी लोग दिल्ली से पंजाब के लिए निकल जाएंगे सिंधु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे.”
इसके साथ ही हरियाणा के भी 28 किसान संगठनों ने अपने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है.
आपको यहां बता दें कि पिछले 26 नवंबर, 2020 से यह किसान दिल्ली की सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन कृषि कानून के विरुद्ध धरने पर बैठे थे.
ज्ञात जानकारी के मुताबिक इस विरोध प्रदर्शन में अभी तक 600 से अधिक किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दे डाली है.
कृषि कानून के वापसी के बाद भी कृषि फसलों पर एमएसपी के अतिरिक्त कई अन्य मांगों पर सरकार और किसानों के बीच तनातनी चल रही थी
जिस पर अब सरकार के नरम रवैया के कारण किसानों ने अपने टेंट और शामियाने को समेटना शुरू कर दिया है तथा अपने घरों की ओर रवाना होने लगे हैं.