कोरोना संक्रमण के कारण हुई मृत्यु ने अपनों को अपनों से कितना जुदा कर दिया है इसका ताजा उदाहरण बिहार राज्य के सिवान में देखने को मिला है.
दरअसल इस कोरोनावायरस ने माननीय संवेदना के साथ-साथ रिश्तों की परीक्षा लेकर उसे तार-तार कर दिया है. आपको बता दें कि न्यायाधीश महोदय ने
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अपने बुजुर्ग पिता के कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट को देखकर डायट स्थित डेडीकेटेड कोविड-19 सेंटर में भर्ती कराया. किंतु जब काफी इलाज के बाद
भी पिता की तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो इनकी मृत्यु हो गई है, हालांकि पिता की मौत के बाद जज साहब ने उसका शव ले जाने से साफ इनकार कर दिया.
इस न्यायाधीश ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी एक अधिवक्ता को सौंपी तथा जिला प्रशासन से जरूरी व्यवस्थाओं को करने के लिए पत्र भी लिखा.
इस पत्र को देखकर हर कोई दंग रह गया किंतु मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने नियुक्त वकील को शव वापस कर दिया.
इसके बाद आपका साथी ग्रुप के सदस्यों ने शहर के कंधवारा में जज के पिता का अंतिम संस्कार किया जिसमें न तो जज ही शामिल हुआ और ना ही उसके परिवार का कोई सदस्य.