प्रधानमंत्री जी क्या ‘समान नागरिक संहिता’ लागू कर देने से देश के हालात बेहतर हो जाएंगे?: अरविंद कुमार सिंह

अरविंद कुमार सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता एवं ट्रेंड यूनियन ऐक्टिविस्ट)

इस समय देश में ‘समान नागरिक संहिता’ चर्चा का विषय बना हुआ है. आये दिन इस पर मंथन और बहस जारी है. इसी क्रम में सामाजिक एवं ट्रेंड यूनियन ऐक्टिविस्ट अरविंद कुमार सिंह ने जनता के बीच कुछ सवाल उठाये हैं जिस पर भी बात की जानी चाहिए.

इन्होंने पीएम से सीधे तौर पर पूछा है कि क्या समान नागरिक संहिता लागू कर देने से देश के हालात बेहतर हो सकते हैं.? क्या हमारी अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी की समस्या, जातिय विभाजन, मंहगी और बर्बाद होती शिक्षा तथा चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर आएगी?

हम प्रधानमंत्री को रोज सून रहे हैं जो अपने संबोधनों में कह रहे हैं कि एक ही घर में रहने वाले दो व्यक्तियों के लिए अलग-अलग कानून कैसे हो सकता है.?

हम भी तो वही कह रहे हैं कि सांसद और विधायक पुरानी पेंशन पाएंगे और 30-35 और 40 साल तक देश की सेवा करने वाले कर्मचारी तथा सीमाओं

हाड़ कंपा देने वाली ठंड और देह झुलसा देने वाली गर्मी में देश की हिफाजत करने वाले पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान पेंशन नहीं पाएंगे. ये लोग भी तो आप ही के घर में रहते हैं तो

इनके लिए समानता का क्या पैमाना बनाया है आप ने, यह सब बातें कह कर किसे बेवकूफ बना रहे हैं प्रधानमंत्री जी, अब लोग आपके लच्छेदार भाषणों के झांसे में नहीं आने वाले हैं.

चुनाव जीतने के लिए भारत को मुगल-ए-आजम की अनारकली मत बनाइए, अभी देश के सामने तमाम बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी है उनका समाधान करिए.

समान नागरिक संहिता कानून के लागू होने से हिंदू नौजवानों का क्या लाभ होगा? क्या सभी गरीब हिंदूओं को देश के मंहगे शिक्षण संस्थानों में पढ़ने का अवसर मिलेगा?

पांच किलो राशन पर जीवन गुजर बसर करने वाली गरीब आबादी को मेदांता, मेडिसिटी गुणगाव, फोर्टिस, मैक्स, हिंदुजा, सहारा और रिलायंस जैसे अस्पतालों में इलाज उपलब्ध हो पाएगा?

क्या निम्न और मध्यम वर्ग के लोग प्रधानमंत्री जी, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, रणवीर सिंह, रणवीर कपूर, हेमा मालिनी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, जैसी अभिनेत्रियों और अभिनेताओं जैसे कपड़े पहन पाएंगे?

समान नागरिक संहिता के लागू होने से क्या गरीबों के बच्चे सरकारी खर्चे पर बीटेक, एमटेक, एमबीबीएस, एमडी, एमएस, पीएचडी कर पाएंगे?

पहले देश में एक तरह की शिक्षा और चिकित्सा प्रणाली लागू करो, सबके लिए समान सुरक्षा का इंतजाम  करो, कोशिश हो कि देश की पूंजी समान तरीके से सबको मिले.

समानता के मामले को वोट की राजनीति का हथियार मत बनाओ, प्रधानमंत्री जी सरकारी कर्मचारीयों और सांसद, विधायको को पेंशन देने में समानता तो ला ही नहीं पा रहे हैं तो समान नागरिक संहिता लागू करने की बेचैनी क्यों है?

बिना समान नागरिक संहिता के मुगल 700, अंग्रेज 200 साल और कांग्रेस सहित भाजपा 75 साल राज कर चुकी है, देश शून्य से शिखर तक पहुंच गया है.

इसलिए बुनियादी सवालों को हल कीजिए, मजदूर और किसानों के जीवन स्तर को सुधारने पर ध्यान दीजिए, मणिपुर के लोगों के जीवन की हिफाजत करने का जतन कीजिए,

उत्तर भारत और गुजरात के लोगों की ही तरह मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के लोगों का भी जीवन बेशकीमती है इसे बचाईए. दुनिया का कोई भी देश धार्मिक और जातीय विभाजन करके

बहुत लम्बे समय तक जिंदा नहीं रह सकता है. सदियों से भारत गंगा-जमुनी तहजीब और संस्कृति वाला देश रहा है और रहेगा भी यह भरोसा है, इस देश की जनता को.

 

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