बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी कि यह नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म ग्रंथ है, की आग ठंडी भी नहीं हुई थी
कि भाजपा से अलग होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है.
उनका कहना है कि इस ग्रंथ में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. इसे तुलसीदास ने केवल अपनी खुशी के लिए लिखा था.
ऐसे धर्म का सत्यानाश हो जो हमारा सत्यानाश करता हो #We_sapport_Swamiprasad_Maurya pic.twitter.com/iga0yp7HH6
— Krishna Kumar jatav (@Krishna05102719) January 23, 2023
आज भी करोड़ों लोग इसको नहीं पढ़ते हैं. यह ग्रंथ बकवास है, सरकार को चाहिए कि इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए.
एक न्यूज़ चैनल से बातचीत करते हुए सपा नेता ने मानस के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें बताया गया है-
“ब्राम्हण भले ही दुराचारी और अनपढ़ हो किंतु वह ब्राह्मण है, इसलिए पूजनीय माना गया है. किंतु शूद्र कितना भी ज्ञानी क्यों ना हो उसका सम्मान मत कीजिए.”
मौर्या ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यही धर्म है? जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है उसका सत्यानाश हो.
इन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर भी हमला बोलते हुए कहा कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म को बेच रहे हैं.
फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्या के इस बयान पर विश्व हिंदू परिषद ने भड़कते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है जिसमें बताया है कि श्रीरामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने की बात बेतुकी है.
उन्हें सत्ता ना मिलने के कारण पागलपन का दौरा पड़ा है. यह पुस्तक नहीं बल्कि मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने का अमृत कुंभ है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्री राम भक्तों का अपमान किया है ऐसे विक्षिप्त श्री राम विरोधी को तत्काल गिरफ्तार करके जेल भेजना चाहिए.