लक्ष्मी जी वर दो, बेघर पीएम को घर दो! व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा (PART-2)

पर अगर कोई भूख-गरीबी वगैरह है ही नहीं, तो फिर आप जो साल में सिर्फ एक रात को छोटी-छोटी धन वर्षा करती फिरती हो, उसका फायदा ही क्या है?

भूखे गरीब तो हैं ही नहीं कि, थोड़ा-बहुत जो कुछ भी हाथ लग जाए, उनका कुछ न कुछ तो भला ही होगा, कुछ नहीं से तो कुछ भी भला!

पर जब सबके पास बहुत कुछ है, तब रेजगारी के आपके सालाना छींटे किस काम के! लक्ष्मी जी को यह जरा भी पसंद नहीं आया कि उलूक घुमा-फिराकर बार-बार,

उनके दीवाली की रात के धन-बरसाने को महत्वहीन दिखाने पर आ जा रहा था. उन्होंने जरा रुखाई से कहा-गरीब-भूखे हैं ही नहीं, ये मैंने कब कहा?

सरकार ने भी माना है कि घट रहे हैं, पर हैं! और जो घटने के बाद भी हैं, उनकी तरफ से हम कैसे आंखें मूंद सकते हैं? उनकी मदद करने से हम कैसे हाथ खींच सकते हैं?

इसलिए तो कहा – हमें अपना कर्म करने पर ध्यान देना चाहिए; फल की चिंता हम क्यों करें? पर उलूक भी अड़ गया,

कर्म करने से कौन मना कर रहा है, पर लकीर का फकीर बने रहना भी तो ठीक नहीं है. जो साल दर साल करते आए हैं, वही आगे भी करते जाएं, यह क्या बात हुई?

मैं कन्विंस्ड नहीं हूं कि हमें सिर्फ इतना सोचना चाहिए कि पिछले साल जो किया था, उसे इस साल फिर करें. लक्ष्मी जी झल्लाकर बोलीं-आखिर तू चाहता क्या है?

या सिर्फ मेरी दीवाली खोटी करानी है? उलूक ने लपक कर लक्ष्मी जी के पांव पकड़ लिए. आपने ऐसा सोच भी कैसे लिया? आपकी दीवाली खोटी होगी, तो क्या मेरी भी दीवाली खोटी नहीं होगी?

मैं तो सिर्फ इतना चाहता हूं कि इस दीवाली पर कुछ सार्थक हो, कुछ ऐसा हो, जिसका वाकई कुछ असर हो. इस बार आप कुछ ऐसा करें, जो कोई और नहीं कर रहा हो.

आप तो वैसे भी धन की देवी हैं, गरीबों के चक्कर में कब तक पड़ी रहेंगी? फिर उनके लिए मोदी जी ने पांच किलो मुफ्त राशन का और पांच साल के लिए विस्तार कर तो दिया है.

सुना है कि चार करोड़ पक्के घर भी बना दिए हैं और क्या गरीबों को सब कुछ लुटा दें! लक्ष्मी जी ने हथियार डाल दिए-तो तू क्या कहता है?

उलूक ने कहा-आम पब्लिक के लिए धन वर्षा का चक्कर छोड़ते हैं. इस साल जो भी धनवर्षा फंड है, एक जो असली गरीब बचा है, उसके कल्याण की ओर मोड़ते हैं.

लक्ष्मी जी ने उत्सुकता से पूछा-वो कौन है? उलूक ने कहा, वही गरीब जिसने चार करोड़ गरीबों के घर बनवाए और अपना एक घर नहीं बनवा सका!

चलिए, इस दीवाली पर कम से कम उस एक गरीब, बेघर का घर बनवाते हैं. लक्ष्मी जी ने पूछा और दीवाली की रात हम क्या करेेंगे?

उलूक ने कहा, हम अयोध्या चलते हैं, योगी जी के 24 लाख दीयों के वर्ल्ड रिकार्ड का तमाशा देखने. लक्ष्मी जी ने झपटकर उलूक का कान पकड़ लिया और कान उमेंठते हुए धमकाया-लगाऊं एक!

उलूक ने हाथ जोड़ते हुए कहा आप का दिन है जो चाहो करो. मैंने तो सिर्फ आपको पब्लिसिटी पाने का रास्ता सुझाया था.

पसंद नहीं आए तो करती रहो गरीब-गरीब…पर मेरे हिसाब से तो अब आप को भी अपना तौर बदलना चाहिए-लक्ष्मी जी वर दो, बेघर पीएम को घर द!

{लेखक वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोक लहर’ के संपादक हैं}

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!