स्वतंत्रता दिवस की 77वीं वर्षगांठ के मौके पर जमकर गरजे ‘पूर्वाञ्चल गांधी’ डॉ मल्ल

अपनी बेबाक बयानी तथा जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर तर्कों के साथ अपनी बात कहने वाले समाजसेवी, पर्यावरणविद तथा पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले

डॉ संपूर्णानंद मल्ल स्वतंत्र दिवस की 76वीं वर्षगांठ के मौके पर जमकर बरसे हैं. इन्होंने राष्ट्रपति महोदय द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कई सवाल खड़े किए हैं.

इनका कहना है कि हमारे वोट से विधायक, सांसद, मंत्री बनकर मुफ्त का खाना, रहना, दवाई, पढ़ाई, जहाज एवं प्रथम श्रेणी रेल,

करोड़ों की गाड़ियों’ से कहीं आने-जाने’ पेंशन, ‘भत्ता’ लेने वाले नेताओं ने  हमारे ऊपर “असहनीय टैक्स” लगा दिया है.

कोई बताए इसमें मानवता’ लोकतंत्र’ समानता’ कहां है? जो कुछ कर रहे हैं या किए हैं, संविधान उसकी अनुमति नहीं देता, दिल से मैं इन्हें चोर “क्रिमिनल” कहना पसंद करता हूं.

भारत का “लोकतांत्रिक गणतंत्र” मर्जी” एवं खैरात” का विषय नहीं है बल्कि असंख्य लोगों की कुर्बानी और “फांसी” का परिणाम है.

मुझे अपने पत्र का उत्तर चाहिए ताकि मैं “लोकतंत्रात्मक गणतंत्र” महसूस कर सकूं. भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की फांसी के समय इर्विन भारत का वायसराय था.

शासन कर रहा था, भारत पर, उत्तरदायी था ब्रिटेन के प्रति. गुलाम भारत ने फांसी रोकने के लिए उससे अनुनय, विनय किया, फिर भी 23 मार्च, 1931 को “हिंदुस्तान को फांसी” पर झूला दिया.

आज 100 करोड़ निर्धन, गरीब लोग 5 किलो अनाज पर कीड़े/कोड़े की तरह जी रहे हैं, बीमार, विकलांग एवं कुपोषित हैं.

शिक्षा, चिकित्सा, जनसंचार खुले बाजार में महंगे दाम पर बेची जा रही हैं. खाना, पानी, दवाई, ऑक्सीजन “जीवन” है, “दरिंदों” ने टैक्स लगा दिया?

हमारे ‘जीवन’ एवं जीने का अधिकार” हनित कर दिया गया है. 800 सांसदों एवं 142 करोड़ लोगों में से किसी ने भी हैवी टैक्स एवं ऊंची कीमतें नहीं मांगी?

ब्रिटिश वायसराय की तरह राष्ट्रपति की शानो-शौकत एवं शहंशाहीयत जीवन शैली से महंगाई और  गरीब पैदा हो रहे हैं.

अब भी वक्त है मेरे सुझावों पर विचार करके संसद में बहस कीजिए. पार्टी आपसी नफरत, सत्ता की भूख त्याग कर सभी सांसद गण विषमता, गरीबी, महंगाई

जैसे ‘अपराध’ को तत्काल रोकें अन्यथा भगत सिंह के जन्मदिवस 27 सितंबर को “आप लोगों को वोट न देने का सत्याग्रह करूंगा” आप लोगों के सच को’ लोगों के सामने परोस दूंगा.”

“मैं किसी गिरोह बंद दल का दलाल नहीं हूं, मुझे संविधान’ चाहिए न कम न अधिक.

इन्होंने राष्ट्रपति महोदया को स्पष्ट तौर पर लिखा है कि पिछले वर्ष 13 दिन (विश्वविद्यालय), 9 दिन (गरीब आसरा आवास) के अनशन के कारण अस्वस्थ हूं.

16 अगस्त को संसद भवन पर किया जाने वाला सत्याग्रह अब ‘भगत सिंह के जन्मदिन’ 27 सितंबर को करेंगे क्योंकि विषमता, बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई,

हिंदू-मुस्लिम नफरत, जातीय जहर, नारी बलात्कार एवं हिंसा के जनक सांसद एवं मंत्रीगण हैं. इसलिए संसद नहीं चलने दूंगा.

{संपूर्णानंद मल्ल सत्यपथ-9415418263/9415282102  [email protected]}

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