सुप्रीम कोर्ट न होता तो व्यवस्थापिका, ‘कार्यपालिका’ के सदस्य भारत को लूट, बलात्कार, हिंसा में बदल दिए होते

पूर्वांचल गांधी, जन समस्याओं पर बेबाक राय रखने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने भारतीय लोकतंत्र को

मजबूत बनाने तथा भारत देश को शांतिमय देश तथा स्वर्ग बनाने के लिए अपनी राय रखी है. इन्होंने देश में वर्तमान समस्याओं को सुलझाने के लिए बताया है कि

‘लोकतंत्र’, गणतंत्र” शीशे की तरह टूट रहा है. कुछ लोकतंत्र कल के लिए भी संभाल कर रखिए ताकि आने वाली पीढ़ियां याद रख सकें. 

कुछ ईडियट “इतिहास पुनः लिखा जाएगा” स्लोगन उछाल रहे हैं, उन मूर्खों को यह पता नहीं है कि “पल पूर्व’ जो बीत गया वह इतिहास है.

मरे हुए ‘अतीत’ को बदला नहीं जा सकता, उससे सीख लेकर वर्तमान को सवारते हुए भविष्य की सुखद योजनाएं बनाई जा सकती हैं.

पिछली सदी के 8वीं-9दहाई में नेहरू/गांधी परिवारवाद” को गाली देकर कुछ नए लोग विधानसभाओं एवं संसद में प्रवेश किये जिनमें से अधिकांश युवा थे

परंतु चोर’, क्रिमिनल, गुंडे, हत्यारे, बलात्कारी’ सांप्रदायिकता फैलाने वाले “जाति का जुआई पासा फेंकने वाले” उस्ताद थे. 

ये सभी सदनों में पहुंचने के लिए इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल किया- जैसे गुलामी काल में ICS अंग्रेजी नस्ल का ही हो सकता था, उसी तरीके से भारत में लगभग 100 ऐसे नेता

एवं उनके घराने पैदा हो गए हैं जो यह समझ बैठे हैं कि वे लोकतंत्र के जेनेटर हैं. कुछ ऐसे घराने हैं जो अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे, लोकतंत्र उनकी जागीर है.

वही चला सकते हैं, जो भी हो. भारतीय सत्ता पर चोर “अपराधियों’, ‘बलात्कारियों’ की तीसरी पीढ़ी सवार हो चुकी है.

मेरे विचार में लोकतंत्र की ओर बढ़ने तथा भारत को पृथ्वी का ‘शांति देश” एवं “स्वर्ग” बनाने के लिए कुछ सुझाव हैं. मसलन “विधायिका की सदस्यता” एक बार,

विधायिका में प्रवेश की न्यूनतम उम्र 35 वर्ष अधिकतम 70 वर्ष निर्धारित किया जाए. चुनाव लड़ने के लिए 10 वर्ष तक खेती या मजदूरी का काम अनिवार्य हो तथा

पीपल, नीम, आम, महुआ, जामुन, पांच मेडिसिनल पेड़ों में से कोई दो पेड़ लगाया हो तथा यह पौधा 10 वर्ष का हो गया हो.

इससे लोकतंत्र स्थापित होगा, दूसरे लोगों को विधायिका में पहुंचने का मौका मिलेगा, सांप्रदायिकता मिट जाएगी. गिरोहबंद दल एवं उसके दलाल समाप्त हो जाएंगे, लोकतंत्र खड़ा होगा. 

अनार्की आर्बिट्रेरी समाप्त हो जाएगी, कोई बेरोजगार और गरीब नहीं होगा. संप्रदायिकता मिट जाएगी जातिवाद झुरमुट में छिप जाएगा।

80 करोड़ खैरात पर जीने वाले बेघर लोग एवं अरबों की हवेलियों में रहने वाले लोगों के बीच का भेद नष्ट हो जाएगा. इसके अतिरिक्त समान एवं निशुल्क’ शिक्षा, चिकित्सा, संचार

कृषि योग्य जामिनों का समान वितरण, मालिकाना हक स्त्रियों के नाम, इससे बेरोजगारी, गरीबी, विषमता मिटेगी, कोई कुपोषित नहीं होगा.

प्राइवेट संसाधन’ एवं संपत्ति’ का राष्ट्रीकरण किया जाए, रिलिजियस ट्रस्ट को सरकारी संपत्ति घोषित कर दी जाए. मंदिरों, मस्जिदों को चिकित्सालय, विद्यालय एवं वृद्धालय में बदल दिया जाए.

वृद्ध पुजारियों के जीवन की सुरक्षा दें, मंदिरों, मस्जिदों में बलात्कारी, क्रिमिनल और आतंकवादी रहते हैं इसलिए इनके ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज किया जाए.

{DISCLAIMER: dr. sampurnanand malla (9415418263, 9415282102
[email protected]) के निजी विचार हैं. AGAZBHARAT.COM इससे कोई सरोकार नहीं रखता है}

 

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