गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों का प्रकरण पुलवामा ब्लास्ट की कॉपी होना है?

बिलकुल कश्मीर के पुलवामा अटैक की तरह ही भारत-चाइना बोर्डर पर झड़पें हुई जिसमें हमारे 20 निहत्थे जवानों को चीनी सैनिकों द्वारा पत्थर और तार से मार डालना और इस पर केंद्र के

विदेशमंत्री से लेकर रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री तक के द्वारा गैर जिम्मेदार तरह के ब्यानों का जारी करना क्या दर्शाता है? कहीं ऐसा तो नहीं बीजेपी ने बिहार चुनाव जीतने के लिये ऐसा कराया है आप भी सोचिये.

18 soldiers injured in Galwan Valley clash undergoing treatment galwan valley

क्या आप जानते हैं कि चाइना बॉर्डर पर हमारे मारे गए जवान ज्यादातर बिहार रेजीमेंट से हैं.? चीन के साथ लद्दाख सीमा पर भारतीय फौज की 16 बिहार रेजिमेंट के साथ यह झड़प हुई है.

16 बिहार रेजिमेंट के ही 1 कर्नल सहित 20 जवान शहीद हुए हैं और 17 घायल हैं जबकि लिटने सैनिकों को तो चीन ने बंदी तक बना लिया है.

अब उन में से कुछ शहीदों के शवों को बिहार, बंगाल के गांवों में भेज कर अन्धराष्ट्रवादी माहौल खड़ा किया जाएगा. उसी के जरिये कोरोना, प्रवासी मजदूरों के सवाल सबको पीछे कर चुनावी फसल काटी जाएगी.

हमें यह जान लेना चाहिए कि लद्दाख बॉर्डर में जैसी भौगोलिक स्थिति है उसके लिए लड़ाई का मोर्चा सँभालने में कुमाऊँ रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट और गोरखा रेजिमेंट ज्यादा कारगर होती है.

क्योंकि ये जवान ऐसी भौगोलिक स्थितियों में ही पले बढ़े और ट्रेनिंग पाए होते हैं. उन भौगोलिक स्थितियों से अपरिचित 16 बिहार रेजिमेंट को वहां लगाना विशुद्ध रूप से बिहार, बंगाल विधानसभा चुनाव का एजेंडा है.

क्या यह इत्तेफाक है कि बिहार रेजीमेंट वहां लगाई गई ? जैसे इत्तेफाक से एक कार विस्फोटक पदार्थ (आरडीएक्स) लेकर फौज के काफिले में घुस जाती है.

आखिर सियासी जीत की तारीख़ कब तक हमारे जवानों के खून से लिखी जाती रहेगी? ऐसा इत्तेफ़ाक़ चुनाव के समय ही क्यों होता है?

एक जागरूक नागरिक और देशभक्त के रूप में आपको सोचना चाहिए.

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