BY-THE FIRE TEAM
देश की स्थिति पर नजर डालें तो वर्तमान केंद्र सरकार ने जिस स्टैंड के साथ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 A को समाप्त करके उसका विशेष राज्य का दर्जा छिना है तथा
अब इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया है, इसके कारण कश्मीर से लेकर दिल्ली के जन्तर-मन्तर तक लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है और अभी भी यह थमा नहीं है.
दरअसल, लोगों के अगर गुस्से और रोष के कारणों की समीक्षा करें तो यह ज्ञात होता है कि सरकार के कदम मसलन- कश्मीर के मुख्य नेताओं को हाउस अरेस्ट करना, लोगों को जेल में बंद कर देना,
वह भी कश्मीर राज्य से बाहर की जेलों में लोगों को बंदी बनाकर रखना, बंदूक के बल पर कर्फ्यू लगाकर सभी प्रकार के यातायात को रोक देना, यहाँ तक कि कम्यूनिकेशन सिस्टम को पूरी तरह से ब्रेक कर देना आदि.
KASHMIR
सरकार के इस कार्यवाही की कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं जैसे- इसे समाप्त करने से कश्मीरियत का गौरव मिटा दिया गया, वहीं सरकार के इस फैसले से उन लोगों को भी धक्का लगा है जो अभी तक भारत के पक्ष में खड़े थे.
इस सम्बन्ध में सरकार का कहना है कि अलगाववादी गतिविधियों पर रोक लगाने, आतंकवाद को मिटाने, यहाँ निवेश को लाने, रोजगार के नए अवसर को उत्पन्न करने, कश्मीर में समृद्धि लाने तथा कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाये गए.
इस सम्बन्ध में इतना तो तय है कि केंद्र सरकार ने इस कार्यवाही से जम्मू-कश्मीर में प्रमुख राजनीतिक दलों-पिपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉनफेरेन्स (एनसी) जो सरकार साथ खड़े दिखते थे,
MAHBUBA AND OMAR ABDULLA
उनके नेताओं की गिरफ़्तारी भी कश्मीरी लोगों के भरोसे को तोड़ा है, जो अपने आप में कई सवाल उठाती है.
हालांकि अलगाववादी प्रवृतियों के नेताओं को कड़ा झटका दिया है, अब तो आने वाला वक्त बताएगा कि किसको क्या मिला यद्यपि रोष के अनेक लूपहोल विद्यमान हैं.